समर्थन मूल्य में बेचा धान, अब राशि निकालने किसान परेशान
एक सप्ताह बाद भी राशि नहीं मिल रही किसानों को
धान बेचकर राशि निकालने अब बैंक के काट रहे चक्कर।
कोण्डागांव। पत्रिका लुक
कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार में समर्थन मूल्य पर धान विक्रय करने वाले किसान उत्साहित थे। किसानों को समर्थन मूल्य पर धान विक्रय के बाद नगद राशि मिलेगी, किसी ने खेती किसानी के लिए लिया गया उधारी चुकता करने तो किसी ने बेटे की शादी करना कह रहे, धान विक्रय से गदगद किसान अपनी आवश्यकता अनुसार राशि निकालने बैंकों में पहुंच रहे, पर राशि न मिलने से किसानों में मायूसी छा रही। किसानों के माथे पर उधारी चुकता करने की चिंता साफ झलक रही हैं। बैंकों के चक्कर काटते थक हार कर परेशान किसान वापस घर बैरंग लौट रहे। किसानों की बात की जाएं
किसानों की मानें तो सरकार की समर्थन मूल्य पर धान खरीदी योजना तो हम किसानों के लिए वरदान से कम नहीं, लेकिन जरूरत के समय हमें राशि न देकर सरकार की योजनाओं पर बैंक प्रबंधन पानी फेर रहा हैं। अलग-अलग क्षेत्र वासियों के लिए अलग-अलग दिन राशि देने निर्धारित किया गया है। बैंक में राशि निकालने खाताधारकों की प्रतिदिन सुबह 8 बजे से कतार लगती है,बैंक से अधिकतम 30 हजार की राशि ही दे रहे। जिसके कारण जिनको शादी विवाह जैसे कार्यों के लिए अधिक राशि की आवश्यकता होती है ,उनके सामने समस्या खड़ी हो रही ।
जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के खाताधारक संपत ने बताया घर में काम वालों को राशि देनी है,पैसे के अभाव भी दिक्कत हो रही ,समर्थन मूल्य पर धान बेचने के बाद कई बार पैसा निकालने बैंक का चक्कर काट चुका हूं।
खाताधारक सहदेव
किसान सहदेव मरकाम ने बताया उसकी बेटे की शादी के लिए पैसे की सख्त जरूरत है। पैसे निकालने दो से तीन बार बैंक का चक्कर काट चुका हूं। सोमवार को विड्रॉल जमा कर पूरे दिन इंतजार करता रहा, फिर मंगलवार को आने बोले है।
किसान संम्पत कोर्राम
किसान संम्पत कोर्राम हाथों में लाठी थामे ग्राम चिलपुटी ने बताया कि मैं राशि निकालने के लिए पांच बार बैंक आया हूं पर राशि नहीं मिलनव के कारण बैरंग ही लौट रहा हूं।
किसान बनसिंग कोर्राम
वृद्ध किसान बनसिंग कोर्राम चिलपुटी निवासी ने बताया समर्थन मूल्य में धान बेचने के बाद राशि निकलने दो बार बैंक आ चुका हूं, पर आज भी बिना राशि के।ही घर जाना पड़ेंगा।
कविता ठाकुर
किसान की बेटी कविता ठाकुर ने बताया मैग्राम चालक निवासी ने बताया कि हम लोग पहले कोण्डागांव में ही रहते थे बाद में ग्राम चालक चले गए और हमारी खेत कोण्डागांव में है,यहां मैं अपने वृद्ध माँ के साथ हर एक दो दिन में आती हूं पर हमारा नम्बर आते तक बैंक में राशि खत्म हो जाती है और हमे बैरंग ही लौटना पड़ता हैं। ऐसे ही कई अन्य खाताधारकों का भी यही कहानी है। बरहाल देखना होगा कि किसानों की खून पसीने की गाढ़ी कमाई का पैसा कब तलक मिल पाता हैं।