केंद्रीय बजट 2023-24 को जन विरोधी, विकास विरोधी बताया सीपीआई ने
कोण्डागांव। पत्रिका लुक
सीपीआई कोण्डागांव के तिलक पाण्डे ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर केंद्रीय बजट 2023-24 को जन विरोधी, विकास विरोधी बताते हुए कहा है कि सीपीआई का केंद्रीय बजट 2023-24 की कड़ी आलोचना करता है क्योंकि यह बढ़ते बजट पर ध्यान देने में विफल रहा है। बेरोजगारी, बढ़ती असमानता, मुद्रास्फीति और उभरते बहुआयामी ग्रामीण संकट। बजट अर्थव्यवस्था की जमीनी हकीकत की उपेक्षा करता है और इस धारणा को मजबूत करने का प्रयास है कि अर्थव्यवस्था के साथ सब कुछ ठीक है। शिक्षा, स्वास्थ्य, मनरेगा, खाद्य सुरक्षा और अन्य सामाजिक क्षेत्रों के लिए प्रदान किया गया, आबंटन बिल्कुल अपर्याप्त है और यह मेहनतकश जनता के लिए एक बड़ा झटका होगा, जो उन्हें अधिक जोखिम की ओर धकेलेगा और उन्हें भूख और तबाही के लिए उजागर करेगा। कृषि पर आबंटन रुपये कम कर दिया गया है। जबकि किसान उच्च इनपुट लागत से पीड़ित हैं। बजट में उनकी मदद के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया है। एमएसएमई पर पूंजी सब्सिडी स्पष्ट नहीं है जिसके कारण झूठे दावे होते हैं। खाद्य सब्सिडी घटा दी गई है। आईसीडीएस आबंटन पिछले वर्ष के समान ही रखा गया है, मुद्रास्फीति को ध्यान में रखते हुए आबंटन पिछले वर्ष की तुलना में कम है। कुल मिलाकर वर्ष 2022-2023 का बजट जन विरोधी, विकास विरोधी हैं।