छत्तीसगढ़

किसानों से सम्मान निधि वापस मांग किसानों का अपमान कर रही मोदी सरकार-लखेश्वर

बस्तर। पत्रिका लुक। (जितेंद्र कुमार तिवारी)
खरीफ फसल की बोनी के पूर्व नोटिस भेज किसानों को परेशान कर रही केंद्र सरकार । खरीफ फसल की बोनी के वक्त किसानों को पैसे की सर्वाधिक आवश्यकता होती है ऐसे समय में किसानों से सम्मान निधि वापस मांग किसानों को परेशान ही नहीं बल्कि उनका अपमान कर रही है केंद्र की मोदी सरकार। यह आरोप बस्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष एवं विधायक लखेश्वर बघेल ने लगाया है। जारी विज्ञप्ति में उन्होंने कहा कि केंद्र की भाजपा मोदी सरकार ने पहले किसानों के खाते में पैसे डाल उसे किसान सम्मान निधि का नाम दिया और अब उन्हें अपात्र ठहराते हुए राजस्व न्यायालय में पेश होकर रकम वसूली लिए नोटिस भेजा जा रहा है, जबकि अधिकांश किसानों ने बैंक खाते से राशि का आहरण कर उसे खर्च भी कर दिया है। विधायक ने कहा कि शासन की अनुदान योजना का लाभ पात्र लोगों को ही मिलता है और अपात्रों को यदि सरकारी योजना का लाभ मिलता है तो कहीं न कहीं से सिस्टम दोषी है जो अपना काम सही ढंग से नहीं कर रही है या रिकार्ड अपडेट नहीं कर रही है।
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आते साथ किसानों का कर्ज महज एक घंटे में खत्म किया, पूरे देश में सबसे ज्यादा 2500 रुपये में धान की खरीदी की, राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत दीगर फसल लेने पर किसानों को 9000 रुपये प्रति एकड़ के मान से लाभान्वित कर रही है वहीं कृषि मजदूरों को भी इस योजना के तहत लाभान्वित कर कृषि से जुड़ी ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने का काम किया है। वहीं इसके उलट केंद्र की भाजपा सरकार किसानों की कमाई दोगुनी करने के झूठे वायदे और संकल्प के साथ सत्ता में आई और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कृषि के क्षेत्र में तीन काले कानून लाकर पर्दे के पीछे पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने किसानों की पीठ पर खंजर घोपने का काम किया गया, किसानों के लंबे संघर्ष के बाद एक नहीं दो नहीं बल्कि 650 से अधिक मौतों के बाद निष्ठुर प्रधानमंत्री नींद से जागे और तीनों काले कानून को वापस लिया गया, इससे साबित होता है कि केंद्र में बैठी भाजपा की मोदी सरकार पूरी तरह किसान विरोधी है। विधायक लखेश्वर बघेल ने कहा कि किसान सम्मान निधि के नाम पर केंद्र सरकार किसानों के खाते में महज तीन-चार हजार की मामूली रकम ही डाल रही है यह भी न जाने क्यों कभी कम तो कभी ज्यादा मिलता है साफ शब्दों में कहें तो इसमें ढेरों विसंगतियां और अनियमितता है। किसानों के खाते में पहले तो रकम डाल कर उनका सम्मान करने की वाहवाही बटोरी गई और अब उन्हें अपात्र ठहरा कर रकम वापस मांगी जा रही है। बस्तर तहसील के 1698 किसानों को नोटिस भेज कर प्राप्त राशि को जमा करने तहसील न्यायालय में पेश होने को कहा गया है जो कि किसानों के साथ सरासर अन्याय ही नहीं उनका अपमान है और इसके लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार केंद्र में बैठी भाजपा सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं।

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