छत्तीसगढ़

ओबीसी महासभा छग ने कलेक्टर को राज्यपाल व मुख्य मंत्री नाम सौंपा ज्ञापन


कोण्डागांव। पत्रिका लुक

ओबीसी महासभा छत्तीसगढ़ संगठन के प्रदेश अध्यक्ष के निर्देश पर ओबीसी महासभा छत्तीसगढ़ कोण्डागांव के पदाधिकारी व सदस्यों द्वारा राज्यपाल व मुख्य मंत्री को सम्बोधित एक ज्ञापन कलेक्टर को सौंपा गया है।
कलेक्टर को सौंपे गए ज्ञापन में उल्लेख किया गया है कि देश की संघीय संवैधानिक व्यवस्था के अनुसार सामाजिक एवं शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े हुए समुदाय को अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़े वर्ग के रूप में 3 वर्गों में वर्गीकृत किया गया है। सामाजिक एवं शैक्षणिक स्थिति के आधार पर अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति को समानता के अवसर उपलब्ध कराते हुए समुचित विकास एवं उत्थान की व्यवस्था किया गया है, तद्नुसार केन्द्र सरकार द्वारा अ.जा. को 15 प्रतिशत तथा अ.ज.जा. को 7.5 प्रतिशत एवं राज्य शासन द्वारा अ.जा. को 12 प्रतिशत एवं अ.ज.जा. को 32 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान लगभग आबादी के बराबर किया गया है एवं केंद्र सरकार ने मंडल कमीशन की अनुशंसा के अनुसार संविधान लागू होने के 44 साल बाद सुप्रीम कोर्ट के निर्णय अनुसार अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है। साथ ही राज्यों की स्थिति के आधार पर अन्य पिछड़ा वर्ग को राज्य शासन के द्वारा आरक्षण सुनिश्चित करने का अधिकार दिया गया है, किंतु ओबीसी समुदाय को अविभाजित मध्यप्रदेश में मात्र 14 प्रतिशत आरक्षण शिक्षा एवं रोजगार में दिया गया, जो कि आज पर्यंत छत्तीसगढ़ राज्य में लागू है। बहुसंख्यक ओबीसी समुदाय को आबादी के अनुरूप हिस्सेदारी (आरक्षण) प्रदान नहीं करने के कारण प्रदेश की ओबीसी समुदाय के समुचित विकास एवं उत्थान में नुकसान हो रही है। छत्तीसगढ़ शासन द्वारा 02 दिसम्बर 2022 को आरक्षण संशोधन विधेयक पारित कर महामहिम राज्यपाल के हस्ताक्षर हेतु प्रस्तुत किया गया था, जिसमें अनुसूचित जनजाति को 32 प्रतिशत, अनुसूचित जाति को 13 प्रतिशत, अन्य पिछडा वर्ग को 27 प्रतिशत तथा आर्थिक रूप से कमजोर को 4 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया है। ज्ञात हो कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा 7 नवंबर 2022 प्रतिशत ईडब्ल्यूएस आरक्षण को यथावत् लागू रखने का निर्णय दिया गया, जिससे बालाजी केस एव इंदिरा साहनी केस में लगाई गई 50 प्रतिशत को पार करने के बाद ओबीसी को आबादी के अनुपात में हिस्सेदारी देने का रास्ता खोल दिया है। जिसके कारण राज्यपाल से आग्रह किया गया है कि वे एक वर्श पूर्व प्रस्तुत आरक्षण संशोधन विधेयक 2022 में अविलंब हस्ताक्षर करें तथा पिछले एक साल से राजभवन में उक्त विधेयक पर की गई कार्यवाही से अवगत करावें। मुख्य मंत्री से भी आग्रह किया है कि संशोधित आरक्षण विधेयक 2022 में राज्यपाल को हस्ताक्षर करने के लिए आवश्यक पत्राचार करें। सामाजिक न्याय की अपेक्षा के साथ ज्ञापन सौंपने के दौरान ओबीसी महासभा के पदाधिकारी जिला अध्यक्ष मंगउराम देवांगन, बनाउराम नाग, हितेन श्रीवास एवं अन्य सामाजिक संगठनों के पदाधिकारी उपस्थित रहे।

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