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प्रदेश उपाध्यक्ष लता उसेंडी कर रही धान खरीदी केंद्रो निरीक्षण

कोंडागांव। भाजपा के द्वारा जिला अंतर्गत 10 भाजपा मंडलों में धान खरीदी केन्द्रों पर जिलाध्यक्ष दीपेश अरोरा द्वारा निगरानी समिति का गठन किया गया है । निगरानी समिति के सभी सदस्य जिले में अपने मंडल के धान खरीदी केन्द्रों पर किसानों को होने वाली असुविधाओं को दूर करने का प्रयास करने के साथ ही पूरी मुस्तैदी के साथ प्रत्येक गतिविधियों पर नजर बनाए हुए है । प्रत्येक लैंप्स मे दो सदस्यीय समिति द्वारा भेजी गई शिकायत पर संगठन द्वारा आगे कार्यवाही हेतु प्रशासन को अवगत करवाया जा रहा है । इसी क्रम में भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष सुश्री लता उसेंडी द्वारा बफना व चीपावंड धान खरीदी केंद्र का दौरा किया गया । उन्होंने बताया कि देर से धान खरीदी प्रारंभ करने के बाद भी किसानों को धान खरीदी केन्द्रों पर अनेक कठिनाइयों एवं समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है । निरीक्षण के दौरान यह पाया गया कि धान के उठाव में और बारदानो की कमी के चलते किसानों को असुविधा का सामना करना पड़ रहा है । इस दौरान मौके पर मौजूद किसान दुकारुराम पोयाम, सिवनापदर, पोस्ट मुलमुला ने अपनी आपबीती साझा की । उन्होंने बताया कि गत वर्ष 37 क्विंटल धान बेचा था किन्तु इस वर्ष मात्र 7 क्विंटल धान का टोकन कटा है । उक्त किसान का रकबा कैसे कम हो गया उसे जानकारी नहीं है । जिमेदारो से पूछने पर गोलमोल जवाब दिया जाता है । जबकि उनकी खेती का कुल रकबा 1 हेक्टेयर अर्थात 2.471 एकड़ है और समूचे रकबे मे उसने धान उपार्जन किया है । वहीं मोतीलाल पांडे एवं मधुराम ने बताया कि बारदाने की कमी के चलते बाज़ार से 25 से 30 रुपए प्रति नग की दर से किसान बारदाने खरीदने को मजबूर है जबकि शासन द्वारा अब तक बारदाने की कीमत भी तय नहीं की गई है । चिपावंड धान खरीदी केंद्र में अव्यवस्था का आलम यह था कि धान रखने हेतु नव निर्मित चबूतरे का एक हिस्सा भी टूटा हुआ पाया गया । इसी तरह ग्राम बफना के खरीदी केंद्र में उठाव न होने के चलते जाम की स्थिति निर्मित हो चुकी है । मनोज कौशिक ने कहा कि यदि जल्द ही मिलरों द्वारा ट्रांसपोर्ट के माध्यम से धान नहीं उठाया गया तो पहले से ही कछुआ चाल से चल रही खरीदी पर ब्रेक लगने की नौबत आ जाएगी । गरानी समिति के सदस्यों द्वारा निरीक्षण उपरांत प्रथम दृष्टया यह बात निकलकर सामने आ रही है कि कभी बारदाना का बहाना बनाते हैं तो कभी धान खरीदी केन्द्रों पर कर्मचारियों द्वारा धान लेने में देरी करने के कारण जाम की स्थिति बन रही है एवं किसानों का रकबा कम करने से किसान कम धान बेच पा रहे हैं व धान बेचने हेतु किसान को टोकन के लिए भी इधर-उधर भटकना पड़ रहा है ।

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