चित्रकोट के खाल्हेपारा में होती है नारद की पूजा….
जगदलपुर। पत्रिका लुक
इंद्रावती नदी किनारे एक दर्जन से ज्यादा पुरातन मूर्तियां
टेंपल स्टेट कमेटी द्वारा सुरक्षा के कोई उपाय नहीं
हेमंत कश्यप/ जगदलपुर। चित्रकोट जलप्रपात के ठीक ऊपर खाल्हेपारा बस्ती है। इस बस्ती में करीब 1000 साल पुराना मावली माता मंदिर है। यहां देवी- देवताओं की कई मूर्तियां हैं। यहां प्रत्येक रविवार को नारद प्रतिमा की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। ज्ञात होगी संपूर्ण बस्तर में नारद की दूसरी प्रतिमा कहीं और नहीं है। जिला मुख्यालय से 40 किमी दूर चित्रकोट जलप्रपात के ऊपर अमराई है। इस अमराई से लगी बस्ती को लोग खाल्हेपारा कहते हैं। खाल्हेपारा में करीब वर्ष 1324 के पहले तक छिंदक नागवंशीय नरेश हरिश्चंद्र देव का शासन हुआ करता था। उनके महल के अवशेष तथा उनकी सेनापति पुत्री राजकुमारी चमेली की समाधि आज भी यहां मौजूद है। नहाते हैं रविवार को नदी किनारे पुराना देवालय है। यहां मावली माता के अलावा उमा महेश्वर, गणेश, नंदी, भैरवदेव, हनुमानजी, काली कंकालीन आदि की मूर्तियां हैं। इन मूर्तियों के मध्य वीणा बजाते हुए नारदजी की भी दुर्लभ प्रतिमा है। इस प्रतिमा की प्रत्येक रविवार को विशेष पूजा होती है। यहां के पुजारी मोतीराम ठाकुर हर रविवार की सुबह नारद प्रतिमा को नहलाने हैं और उनके सम्मुख दीप प्रज्वलित करते हैं। नारद जी के सम्मुख दीप जलाने का कार्य वे 65 वर्षों से करते आ रहे हैं। इनसे पहले यह कार्य उनके पिता करते रहे हैं। पूरे लोहंडीगुडी क्षेत्र में यह प्रतिमा नारद भगवान के नाम से ही चर्चित है। पुरातत्व विभाग इसे धर्म प्रचारक की मूर्ति कहता है।
संग्रहालय जरूरी
इलाके के कई गांव में अपूजित मूर्तियां उपेक्षित पड़ी है। इन सभी को चित्रकोट में एक जगह प्रदर्शित करने की मांग पुरानी है।
चित्रकोट जलप्रपात से मात्र एक किमी दूर नदी किनारे उपेक्षित पड़ी पुरानी मूर्तियों को यहां आने वाले सैलानी देख सके इसलिए खाल्हेपारा में संग्रहालय बनाने की मांग 10 साल से उठ रही है, किंतु इस दिशा में अब तक कोई पहल नहीं हो पाई है। चित्रकोट पुलिस चौकी के सामने से खाल्हेपारा मंदिर तथा राजकुमारी चमेली की समाधि तक जाने और वहां से सीधे लोहंडीगुड़ा वापस जाने के लिए पक्का मार्ग है, लेकिन जानकारी के अभाव में लोग ऐतिहासिक प्रतिमाओं और समाधि को नहीं देख पाते। यह उठ रही है कि चित्रकोट के प्रचार प्रसार के लिए चित्रकोट महोत्सव आयोजित किया जा सकता है तो चित्रकोट इलाके में कौन-कौन सा स्थल देखने लायक है। इस संदर्भ में सचित्र नक्शा स्थापित किया जाए किंतु इस दिशा में अब तक कोई पहल नहीं हो पाई है।
लेखक हेमन्त कश्यप