आज है वर्ष का पहला प्रदोष व्रत, जानें शुभ मुहूर्त और महत्व
साल का पहला प्रदोष व्रत आज है। आज का दिन भोलेनाथ को समर्पित है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर महीने की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत खिया जाता है। ऐसे में हर माह यह व्रत दो बार किया जाता है। मान्यता है कि कैलाश पर्वत पर प्रदोष काल में भगवान शंकर नृत्य करते हैं। वहीं, देवगण उनका गुणगान करते हैं। इस दिन अगर पूरे विधि-विधान के साथ पूजा की जाए तो तो भगवान शिव का आशीर्वाद हमेशा भक्तों पर बन रहता है। इस दिन भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा करने से भक्त के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त:
पौष, कृष्ण पक्ष त्रयोदशी
त्रयोदशी तिथि प्रारम्भ: 10 जनवरी, रविवार, दोपहर 4 बजकर 52 मिनट से
त्रयोदशी तिथि समाप्त: 11 जनवरी, सोमवार, दोपहर 2 बजकर 32 मिनट तक
प्रदोष व्रत का महत्व:
शास्त्रों के अनुसार, प्रदोष व्रत के दिन भक्त भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा करते हैं। इस दिन शिवजी की पूजा करते समय शिव पुराण और मंत्रों का जाप किया जाता है। मान्यता है कि सबसे पहले चंद्रदेव ने प्रदोष व्रत किया था। पौराणिक कथाओं के अनुसार, चंद्रदेव को श्राप था और उसी के चलते उन्हें क्षय रोग हो गया था। उन्होंने प्रदोष व्रत किया था और इसकी कृपा से वो श्राप मुक्त हो गए थे। मान्यताओं के अनुसार, जो व्यक्ति प्रदोष व्रत करता है उस पर हमेशा भगवान शिव की कृपा बनी रहती है। इस व्रत को करने से व्यक्ति के दुख और दरिद्रता दूर हो जाती है।