फरसगांव : आदिवासी छात्र ने छात्रावास में की आत्महत्या, जवाबदेही किसकी?

अव्यवस्था उजागर, प्रबंधन के साथ सहायक आयुक्त पर भी उठे सवाल
फरसगांव। पत्रिका लुक (घनश्याम शर्मा)
कोंडागांव जिले के फरसगांव विकासखंड अंतर्गत एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय चिचाड़ी के छात्रावास में सोमवार को 10वीं के छात्र यसवंत मरकाम (निवासी सल्फीपदर लंजोड़ा) ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। घटना ने न सिर्फ स्कूल प्रबंधन, बल्कि पूरे प्रशासनिक तंत्र पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
पूर्व में भी घट चुकी है घटना
यह पहली बार नहीं है जब एकलव्य विद्यालय में इस तरह की दर्दनाक घटना हुई हो।
गोलावंड स्थित एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय में भी पूर्व में कक्षा 12वीं के छात्र ने पंखे पर लटककर आत्महत्या की थी। उस घटना के बाद भी विभागीय अधिकारियों ने कोई ठोस कदम नहीं उठाए। ना ही सुधारात्मक कार्यवाही हुई, ना ही जिम्मेदारों पर कार्रवाई।
परिणामस्वरूप एक बार फिर ऐसी घटना सामने आई है, जिससे साफ है कि अधिकारी केवल खानापूर्ति कर रहे हैं और बच्चों की समस्याओं को लेकर संवेदनशील नहीं हैं।
ग़ुस्से में पालक संघ और समाज
शव को फंदे से उतारकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया। इस दौरान पालक संघ और सर्व आदिवासी समाज आक्रोशित हो गए और छात्रावास के मेन गेट पर सांकेतिक धरना दिया। आक्रोशित पालकों का कहना है कि आत्महत्या की असली वजह अव्यवस्था और प्रबंधन की लापरवाही है।
अव्यवस्था की पूरी कहानी
500 सीट की क्षमता, लेकिन 720 छात्र-छात्राएँ ठुंसी हुई
टॉयलेट और बाथरूम बंद, स्नान के लिए घंटों लाइन
बेड की कमी, बच्चे फर्श पर सोने को मजबूर
पढ़ाई के लिए पर्याप्त जगह और लाइब्रेरी का अभाव
पालक संघ का आरोप, मानसिक दबाव ने ली छात्र की जान
सहायक आयुक्त की भूमिका पर भी सवाल
इस घटना ने सहायक आयुक्त की कार्यशैली पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
निरीक्षण के दौरान उन्हें ये खामियां क्यों नहीं दिखीं?
क्या वे सिर्फ दफ़्तर में बैठकर कागज़ी खानापूर्ति कर रहे हैं?
क्या वे केवल अधीनस्थ कर्मचारियों की रिपोर्ट पर निर्भर रहते हैं?
यदि नियमित और ईमानदारी से निरीक्षण हुआ होता, तो छात्रावास की खामियां समय रहते सामने आ जातीं और संभवतः यह दर्दनाक घटना टल सकती थी। समाज का कहना है कि केवल अधीनस्थ कर्मचारियों पर भरोसा कर “सब ठीक है” मान लेना अधिकारियों की गंभीर लापरवाही है।
पालक संघ और समाज के बयान
घनश्याम मरकाम, पालक संघ अध्यक्ष
“बच्चों के रहने और पढ़ाई की स्थिति बेहद खराब है। दबाव और अव्यवस्था ही इस आत्महत्या की असली वजह है।”
ईश्वर कोर्राम, सर्व आदिवासी समाज ब्लॉक अध्यक्ष
“शिक्षक बच्चों से मारपीट और प्रताड़ना करते हैं। प्रशासन को दोषियों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।
जांच की तैयारी
फिलहाल पुलिस ने मर्ग कायम कर लिया है। मौके पर मौजूद एसडीएम और थाना प्रभारी ने पालक संघ को जांच और दोषियों पर कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
लेकिन इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि यदि निरीक्षण केवल कागज़ों में होगा और बच्चों की असलियत पर ध्यान नहीं दिया जाएगा, तो ऐसी घटनाएँ रुकना मुश्किल हैं।
कार्रवाई कब?
घटित हो रही इन घटनाओं से बड़ा सवाल यह है कि जिम्मेदार अधिकारियों पर आखिर कब कार्रवाई होगी? क्या विभाग केवल हर घटना के बाद जांच और खानापूर्ति तक सीमित रहेगा या फिर बच्चों की सुरक्षा और जीवन से जुड़ी व्यवस्थाओं में वास्तविक सुधार करेगा? बरहाल, इसका जवाब आने वाला समय ही देगा।
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