छत्तीसगढ़

अबूझमाड़ मुठभेड़: 1.8 करोड़ के ईनामी दो माओवादी केंद्रीय समिति सदस्य ढेर…

नारायणपुर। पत्रिका लुक

छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में सुरक्षा बलों को बड़ी सफलता हाथ लगी है। बीते 22 सितम्बर को नारायणपुर जिले के फरसबेड़ा–तोयमेटा जंगल में हुई मुठभेड़ में प्रतिबंधित संगठन सीपीआई (माओवादी) के दो शीर्ष नेता और केंद्रीय समिति सदस्य मार गिराए गए। मारे गए नक्सलियों की पहचान राजू दादा उर्फ कट्टा रामचंद्र रेड्डी (63) और कोसा दादा उर्फ कादरी सत्यनारायण रेड्डी (67) के रूप में हुई है। दोनों पर 1.80 करोड़ रुपये का इनाम घोषित था।

सर्च अभियान में घटनास्थल से एक एके–47 राइफल, एक इंसास राइफल, बीजीएल लॉन्चर, बड़ी मात्रा में विस्फोटक, नक्सली साहित्य और अन्य सामग्री बरामद हुई है।

तीन दशकों से सक्रिय और कई बड़े हमलों के मास्टरमाइंड

पुलिस के अनुसार कट्टा रामचंद्र रेड्डी पिछले तीन दशकों से दंडकारण्य विशेष क्षेत्रीय समिति में सक्रिय था। उस पर वर्ष 2009 में महराबेड़ा में सीआरपीएफ के 27 जवानों की हत्या, 2011 में बुकिनतोर ब्लास्ट में 4 जवानों की शहादत, 2020 में सुकमा के जोनागुडेम और 2022 में टेकलगुड़ा हमले में 22–22 जवानों के नरसंहार जैसे 27 गंभीर मामलों में आरोप था।

इसी तरह कोसा दादा कई राज्यों में 62 अपराधों में वांछित था। उस पर 2006 में कच्चापाल जन अदालत में 6 ग्रामीणों की हत्या, 2009 में महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में 17 जवानों की शहादत, राजनांदगांव के मदनवाड़ा में तत्कालीन एसपी सहित 27 जवानों की हत्या, और 2018 में नारायणपुर जिले में इरपानार एंबुश में 4 जवानों की शहादत जैसे संगीन आरोप थे।

अबूझमाड़ में कमजोर हो रहा नक्सली गढ़

नारायणपुर पुलिस अधीक्षक रोबिनसन गुड़िया ने बताया कि अबूझमाड़ लगभग 5,000 वर्ग किमी में फैला कठिन व घना क्षेत्र है, जो लंबे समय से माओवादियों की सुरक्षित शरणस्थली रहा है। पिछले दो वर्षों में यहां लगातार सुरक्षा शिविरों की स्थापना और अभियान चलाए जाने से नक्सलियों की गतिविधियां कमजोर हुई हैं।

पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) बस्तर रेंज पी. सुंदरराज ने प्रेस वार्ता में कहा कि “प्रतिबंधित संगठन सीपीआई (माओवादी) को हाल के समय में गंभीर और अपूरणीय क्षति हुई है। वरिष्ठ कैडरों की मौत से संगठन बिखर गया है और आंतरिक कलह से जूझ रहा है।”

उन्होंने बताया कि जनवरी 2024 से अब तक बस्तर रेंज में कुल 437 कुख्यात माओवादी मारे गए हैं। वर्ष 2025 में बसवराजु, सुधाकर, चलपति, मोडेम बालकृष्ण, उदय, साहदेव और विवेक मांझी जैसे वरिष्ठ नेताओं की मौत के बाद अब राजू दादा और कोसा दादा का खात्मा नक्सली संगठन के लिए बड़ा झटका है।केंद्र और राज्य सरकार का संकल्प

ईजी सुंदरराज ने स्पष्ट किया कि भारत सरकार और छत्तीसगढ़ शासन वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ रहे हैं। सुरक्षा बलों का अभियान तब तक जारी रहेगा जब तक इस संगठन का समूल नाश नहीं हो जाता। उन्होंने माओवादियों से हथियार छोड़कर आत्मसमर्पण करने और मुख्यधारा में लौटने की अपील भी की।

दोनों केंद्रीय समिति सदस्यों की मौत के बाद नक्सलियों के पास अब नेतृत्व का बड़ा संकट खड़ा हो गया है। सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि इससे उनके प्रभाव क्षेत्र और आतंकी गतिविधियों में उल्लेखनीय गिरावट आएगी।

Patrika Look