
कोण्डागांव । पत्रिका लुक
कोण्डागांव जिला मुख्यालय से लगभग 33 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत नरिहा में लगभग डेढ़ वर्ष से अधूरा पड़ा पंचायत भवन अब स्थानीय लोगों के लिए बड़ी चिंता का विषय बन गया है। मामला न केवल ठेकेदार की मनमानी का है, बल्कि इसमें जनपद पंचायत के अधिकारी, इंजीनियर, सरपंच और सचिव की लापरवाही भी सामने आ रही है।
स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि पंचायत भवन निर्माण कार्य शुरू होते समय क्षेत्रीय मजदूरों और ट्रैक्टर मालिकों को सामग्री लाने का काम सौंपा गया था। मजदूरों और ट्रैक्टर मालिकों ने बताया कि उन्होंने अपने डीज़ल, श्रम और अन्य खर्चे स्वयं वहन किए, लेकिन आज तक उनका भुगतान नहीं हुआ है। ठेकेदार बार-बार भुगतान टालता रहा और अब मोबाइल फोन तक बंद कर दिया है।
ग्रामीणों का आरोप है कि भवन निर्माण की निगरानी में लगे जनपद पंचायत के अधिकारी और इंजीनियर भी कार्य में ढीलाई बरत रहे हैं। साथ ही सरपंच और सचिव की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं क्योंकि उन्हें इस परियोजना की प्रगति और भुगतान की जानकारी होते हुए भी कार्यवाही नहीं की गई।
स्थानीय लोगों का कहना है कि पंचायत भवन सिर्फ एक निर्माण कार्य नहीं था, बल्कि यह ग्राम पंचायत के विकास कार्यों और योजनाओं के संचालन का मुख्य केंद्र बनने वाला था। लेकिन अधिकारियों और ठेकेदार की लापरवाही के चलते यह कार्य अब अधूरा पड़ा है।
ग्रामीण पूछते हैं कि इस अधूरे भवन के निर्माण को पूरा करने में और कितने साल लगेंगे और क्या यह पैसे के आभाव में पूरी तरह बंद रहेगा। उन्होंने जिला प्रशासन से मांग की है कि जल्द से जल्द इस मामले में संज्ञान लिया जाए, भवन निर्माण पूरा कराया जाए और मजदूरों व ट्रैक्टर मालिकों का बकाया भुगतान किया जाए।
यह मामला नरिहा जैसे दूरस्थ एवं संवेदनशील क्षेत्र में शासन-प्रशासन की जवाबदेही और विकास कार्यों की निगरानी पर गंभीर सवाल खड़ा करता है।