छत्तीसगढ़ को उत्पादक भी बनना है और उपभोक्ता भी: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल
रायपुर. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज प्रसारित अपनी मासिक रेडियोवार्ता लोकवाणी की 15वीं कड़ी में ’उपयोगी निर्माण-जन हितैषी अधोसंरचनाएं और आपकी अपेक्षाएं’ विषय पर प्रदेश की जनता की खुशहाली और विकास को लेकर राज्य सरकार के विजन पर अपने विचार विस्तार से रखे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के बहुमूल्य संसाधनों का उपयोग करके छत्तीसगढ़ के लोग भी समृद्ध और खुशहाल बने। अधोसंरचना विकास के कार्यों में सड़क, बिजली और सिंचाई संसाधनों के नेटवर्क को पूरा करने पर जोर दिया गया है, ताकि अधोसंरचना विकास के कार्यांे का पूरा लाभ प्रदेश की जनता को मिल सके। गांव-गांव में महिला स्व सहायता समूह तथा प्रतिभावान युवाओं के नवाचार से प्रदेश में समृद्धि और खुशहाली का नए रास्ते बनाने की शुरूआत हो चुकी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गांव-गांव में ऐसी अधोसंरचनाएं तैयार की जा रही हैं। जिनका लाभ बड़े पैमाने पर लोगों को मिलता है। नरवा, गरवा, घुरवा, बारी प्रोजेक्ट की शुरूआत छत्तीसगढ़ की इन चार चिनहारी को बचाने के लिए की गयी। गौठान बहुआयामी सांस्कृतिक, आर्थिक गतिविधियों के केन्द्र बन रहें हैं। गांवों में बाड़ी की पुरानी परम्परा को वापस लाया जा रहा है। राज्य की सिंचाई क्षमता दोगुनी करने के लिए प्रदेश की नई जल संसाधन नीति तैयार करने का काम पूरा हो चुका है। वर्मी कम्पोस्ट से जैविक खेती को बढ़ावा मिलेगा।
राज्य सरकार ने स्कूल शिक्षा में गुणात्मक सुधार का रोडमैप बनाया है। इसी तरह उच्च शिक्षा के क्षेत्र में विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों, कृषि शिक्षा और इंजीनियरिंग कॉलेजों में ऐसे पाठ्यक्रम प्रारंभ करने पर जोर दिया गया है, जिससे स्थानीय संसाधनों के वेल्यू एडिशन से उत्पादन का रास्ता बने। युवाओं में उद्यमिता का विकास हो और उन्हें रोजगार के बेहतर अवसर मिलंे। पर्यटन को बढ़ावा देकर स्थानीय विकास को गति देने और रोजगार के नए अवसर सृजित करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
लोकवाणी में आम जनता से राज्य सरकार की योजनाओं पर मिलता है फीडबैक
मुख्यमंत्री ने लोकवाणी में श्रोताओं का अभिवादन करते हुए छत्तीसगढ़ी में कहा-सब्बो झन ला मोर जय जोहार, नमस्कार, जय सियाराम। लोकवाणी मं आके मोला अब्बड़ खुसी लागथे, काबर कि हमन सरकार मं बइठके जउन निरनय लेथन, वो बात ल आप सब झन कइसे समझथव, अऊ योजना मन ल कइसे अपनाथव, ऐखर बारे मं मोला सब जानकारी लोकवाणी ले हो जाथे। आप मन ले गोठ-बात करके हमर आत्मविश्वास घलो बाढ़थे, अऊ काम करेके नवा रद्दा घलो मिलथे। तेखर बर जम्मो ‘लोकवाणी’ सुनइया मन ल, गाड़ा-गाड़ा सुभकामना अऊ धन्यवाद।
श्रोताओं ने कहा ‘नरवा, गरवा, घुरवा और बारी’ प्रोजेक्ट से गांवों में मिली अधोसंरचना को दिशा
लोकवाणी के लिए रिकार्ड कराए गए अपने संदेश में बेमता के भूपेन्द्र कुमार शर्मा ने कहा कि नई सरकार बनने के बाद किसानों को काफी राहत मिली। महासमुंद जिले की बम्हनी ग्राम पंचायत की रूक्मणी पाल ने बताया कि उनके जय मां सरस्वती महिला स्व-सहायता समूह ने गोबर से 200 क्विंटल खाद बनाई, जिससे 1 लाख 77 हजार रुपए आय हुई। आरंग के श्री नंद कुमार ने कहा कि ‘नरवा, गरवा, घुरवा और बारी’ प्रोजेक्ट से अधोसंरचना विकास की एक दिशा दिखी है।
जल संरक्षण और संवर्धन के लिए 30 हजार नरवा चिन्हांकित
मुख्यमंत्री ने श्रोताओं से रू-ब-रू होते हुए कहा कि निश्चित तौर पर ‘नरवा, गरवा, घुरवा, बारी’ हमारा ड्रीम प्रोजेक्ट है और इसकी शुरुआत हमने छत्तीसगढ़ की चार चिन्हारी को बचाने के लिए किया था। नरवा के काम में पंचायत और ग्रामीण विकास, जल संसाधन विकास विभाग, वन विभाग आदि की मदद ली जा रही है। लगभग 30 हजार नरवा चिन्हांकित किए गए हैं और लगभग 5 हजार नरवा विकास का काम काफी आगे बढ़ चुका है। गरवा को लोग सिर्फ गाय, दूध और पशुधन विकास तक ही समझते थे, हमने गरवा के माध्यम से गौठान की योजना बनाई। इस तरह लगभग 10 हजार गौठानों के निर्माण की मंजूरी दे चुके हैं, जिनमें से 5 हजार से ज्यादा गौठानों का निर्माण पूरा हो चुका है। अब गौठान की पहचान एक ऐसी अधोसंरचना के रूप में हो चुकी है, जो सिर्फ गायों को रोकने की जगह ही नहीं है बल्कि गोधन न्याय योजना के माध्यम से गोबर खरीदी केन्द्र, महिला स्व-सहायता समूह के माध्यम से वर्मी कम्पोस्ट बनाने और बेचने का केन्द्र, गोबर से अन्य कलात्मक वस्तुएं बनाने का केन्द्र भी विकसित हुआ है। एक तरह से गौठान बहुआयामी सांस्कृतिक, आर्थिक गतिविधियों के केन्द्र बन रहे हैं। मुझे यह देखकर खुशी होती है कि हमारे गांव-घर की बाड़ियों में उपजाई जाने वाली सब्जी-भाजी- फल कुपोषण मुक्ति का सहारा बन रहे हैं।
आगामी 5 वर्षों में राज्य की सिंचाई क्षमता दोगुनी करने का लक्ष्य
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी नरवा योजना प्रदेश में भू-जल की रिचार्जिंग का बहुत बड़ा साधन बन रही है। हमारे प्रयासों को भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय द्वारा भी सराहा गया है। बिलासपुर और सूरजपुर जिले की परियोजनाओं को राष्ट्रीय पुरस्कार मिला है। हमने पुरानी जल संसाधन परियोजनाओं की कमियों को दूर किया ताकि वास्तविक सिंचाई का रकबा बढे़, इसके अलावा भी बड़ी-बड़ी नई योजनाएं हाथ में ली हैं। बोधघाट के अलावा शेखरपुर बांध, ढांडपानी बांध, रेहर अटेम जैसी 15 परियोजनाओं पर ध्यान दिया जा रहा था। हमारा लक्ष्य है कि आगामी 5 साल में प्रदेश में ऐसी जल अधोसंरचनाओं का विकास हो जाए, जिससे राज्य की सिंचाई क्षमता दोगुनी हो जाए। मैं यह खुशखबरी भी साझा करना चाहता हूं कि छत्तीसगढ़ की नई जल संसाधन विकास नीति तैयार करने का काम पूरा हो चुका है। जल्दी ही प्रदेश को नई जल संसाधन नीति के रूप में अधोसंरचना विकास की नई सौगात मिलेगी।
ग्रामीणों ने धान खरीदी केन्द्रों में चबूतरा निर्माण को बताया उपयोगी
लोकवाणी में ग्राम डबराखुर्द के राजेश कुमार कनौजिया ने बताया कि ग्रामीण सेवा सहकारी समिति झाल खम्हरिया में और ग्राम कोसरंगी के सोम प्रकाश साहू ने बताया कि धान खरीदी केन्द्रों में चबूतरा बनने से हमारा धान खराब नहीं होता है। इसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री को धन्यवाद दिया।
गौठानों में 61 हजार वर्मी कम्पोस्ट टंकी और करीब 5 हजार चारागाहों का निर्माण
मुख्यमंत्री ने लोकवाणी में कहा कि आप लोगों ने इस बदलाव को महसूस किया, उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। हम महात्मा गांधी नरेगा के साथ विभिन्न योजनाओं के अभिसरण से गांव-गांव में ऐसी अधोसंरचनाओं का विकास कर रहे हैं, जिसमें बहुत बड़े पैमाने पर लोगों को लाभ मिलता है। इस तरह एक ओर जहां हमने हजारों गौठानों के निर्माण की व्यवस्था की, वहीं गौठानों में लगभग 61 हजार वर्मी कम्पोस्ट टंकी बनवा चुके हैं। करीब 5 हजार चारागाह बनाए हैं। भवनविहीन आंगनबाड़ियों के लिए भवन बना रहे हैं। नवगठित ग्राम पंचायतों में पंचायत भवन बना रहे हैं। उसी प्रकार धान उपार्जन केन्द्रों में 8 हजार चबूतरे बनवाए गए हैं, जिसका जिक्र आप लोगों ने किया, इससे धान को सुरक्षित रखने में मदद मिल रही है। गांवों में ऐसी अधोसंरचनाओं की बहुत जरूरत है, जिससे हमारे ग्रामीण भाई-बहन और बच्चे गांवों में एक नई तरह की व्यवस्था महसूस कर सकें। वे देख सकें कि सरकार का काम खाली शहरी अधोसंरचना का विकास ही नहीं है, गांव वालों की जरूरतें पूरी करने के लिए भी बहुत से काम करना जरुरी है। मुझे खुशी है कि हमने सही समय में गांव वालों की जरूरतों की पहचान कर ली है और उसके अनुरूप निर्माण के निर्णय ले
रहे हैं।
इंग्लिश मीडियम स्कूलों में कमजोर वर्ग के बच्चों को मिलेगी अच्छी शिक्षा
लोकवाणी में कोरबा के कुश शर्मा ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार ‘उपयोगी निर्माण और जनहितैषी अधोसंरचना’ के मामले में ऐसा विकास कर रही है, जो आम लोगों से सीधा जुड़ा है। राज्य सरकार के इंग्लिश मीडियम स्कूल शुरू करने के फैसले से आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के लिए शिक्षा सुलभ हो पाएगी, इसके लिए मुख्यमंत्री जी धन्यवाद के पात्र हैं।
राज्य सरकार ने तैयार किया स्कूल शिक्षा में गुणवत्ता सुधार का रोडमैप
मुख्यमंत्री ने लोकवाणी में कहा कि हमने स्कूल शिक्षा में गुणवत्ता सुधार का एक रोडमैप बनाया है, जिसके अनुसार विभिन्न शालाओं में बहुत से कार्य किए जा रहे हैं, जिनसे बच्चों के व्यक्तित्व का सम्पूर्ण विकास हो, जिससे वे आगे चलकर डॉक्टर, इंजीनियर ही नहीं बल्कि शोधकर्ता, खिलाड़ी, प्रबंधक या अपनी रुचि के अनुसार कोई भी कैरियर अपना सकें। उन्होंने कहा कि महंगे और सजावटी विकास से किसी का भला नहीं होता, वास्तव में यह देखना चाहिए कि निर्माण की गुणवत्ता कैसी है और उससे सेवा की गुणवत्ता में कैसे सुधार होगा। ‘स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम विद्यालय योजना’ का विचार ही इसलिए आया कि सरकारी स्कूलों को निजी स्कूलों के सामने सम्मानपूर्वक खड़ा किया जाए। ताकि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले गरीब और मध्यमवर्गीय बच्चे उन सुविधाओं से वंचित न हों, जो उनके भविष्य निर्माण के लिए जरूरी हैं। इसलिए सरकारी क्षेत्र में हम इंग्लिश मीडियम स्कूल के माध्यम से वह सुविधाएं ला रहे हैं।
युवाओं में बढ़ा कृषि शिक्षा की ओर रुझान
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर के कुलपति प्रो. एस. के. पाटिल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में कृषि तथा उद्यानिकी को बढ़ावा मिलने से और 31 महाविद्यालयों का वृहद नेटवर्क खड़ा होने से युवाओं में कृषि शिक्षा की ओर रुझान बढ़ा है। उन्होंने मुख्यमंत्री को इसके लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि अपने युवाओं में कौशल विकास हेतु विश्वविद्यालयों में उत्पादन केन्द्र तथा युवाओं की कंपनियां स्थापित करने का अभिनव विचार दिया है। इसके माध्यम से युवा, कृषि को एक व्यवसाय के रूप में लेने आगे आ रहे हैं। रायगढ़ के किरण मौर्य ने कहा कि रायगढ़ जिले में स्वर्गीय नन्दकुमार पटेल यूनिवर्सिटी शुरू होने से हम छात्र-छात्राओं को शिक्षा संबंधी कार्यों के लिये बिलासपुर नहीं जाना पड़ेगा।
विश्वविद्यालयों में उत्पादन केन्द्र तथा युवाओं में उद्यमिता विकास के कार्य की नई शुरूआत
मुख्यमंत्री बघेल ने इस संबंध में कहा कि मैं किसान परिवार से हूं। मैं किसान हूं, इसे गौरव का विषय मानता हूं, लेकिन एक लम्बे दौर में हमारे युवाओं के मन में यह बात बैठ गई है कि खेती-किसानी के बारे में चर्चा करना या उसमें अपना कैरियर ढूंढना कोई बहुत अच्छी बात नहीं है। खेती-किसानी को लेकर युवाओं के मन में सम्मान का भाव नहीं होने की एक बड़ी वजह थी कि खेती और उच्च शिक्षा के बीच की कड़ी ही मिसिंग थी। हार्वर्ड विश्वविद्यालय में भ्रमण के दौरान मेरे मन में यह बात आई थी कि विश्वविद्यालयों में उत्पादन केन्द्र तथा युवाओं में उद्यमिता विकास को लेकर कोई संरचनागत, संस्थागत काम होना चाहिए, जिसमें निरंतरता हो और युवाओं को कृषि से संबंधित रोजगार के नए अवसरों की जानकारी हो, उन्हें मार्गदर्शन व सहयोग मिले। छत्तीसगढ़ में यह शुरुआत एक सुखद संकेत है। इसलिए हमने यह तय किया कि उतने ही इंजीनियरिंग कॉलेजों को महत्व मिले जितने में गुणवत्ता से शिक्षा दी जा सके और उसमें भी ऐसे पाठ्यक्रम होने चाहिए जो स्थानीय संसाधनों के वेल्यू एडीशन से उत्पादन का रास्ता बनाएं। यह तो विडम्बना ही थी कि हमारे कृषि प्रधान राज्य में इंजीनियरिंग कॉलेजों की भरमार हुई लेकिन कृषि शिक्षा के कॉलेज समुचित संख्या में नहीं खोले गए, इसलिए हमने एग्रीकल्चर के साथ उद्यानिकी-वानिकी, डेयरी टेक्नोलॉजी, फूड प्रोसेसिंग, मछली पालन जैसे विषयों के लिए विश्वविद्यालय, महाविद्यालय और पॉलीटेक्निक खोलने पर जोर दिया है।
चंदूलाल चन्द्राकर स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय को अधिग्रहित करने का फैसला
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने लोकवाणी में कहा कि कोविड के दौरान हमने महसूस किया कि प्रदेश में और अधिक मेडिकल कॉलेजों की जरूरत है। दुर्ग जिलेे का चंदूलाल चन्द्राकर स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय निजी क्षेत्र में चलना मुश्किल हो रहा था, उसे हमने अधिग्रहित करने का फैसला लिया ताकि सरकारी चिकित्सा शिक्षा अधोसंरचना को बढ़ाया जा सके। तीन जिलों कांकेर, महासमुन्द और कोरबा में हम नए मेडिकल कॉलेज खोल रहे हैं, इस तरह उच्च शिक्षा की अधोसंरचना में जो अभाव थे, उसे पूरा करने और प्रदेश के युवाओं को बेहतर भविष्य बनाने में मदद करने का हमारा प्रयास है।
राज्य सरकार द्वारा पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए किए जा रहे कार्यों पर सकारात्मक प्रतिक्रिया देते हुए जशपुर के श्री मदन तिर्की ने कहा कि जशपुर के बालाछापर सरना में एथनिक रिसॉर्ट और कवर्धा में सरोधा दादर रिसॉर्ट बनने से आदिवासी पिछड़े अंचल में पर्यटन विकास के अवसर पैदा हो रहे हैं। रायपुर की प्रार्थना तिवारी ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार उपयोगी निर्माण और जनहितैषी अधोसंरचना के मामले में हमारी अपेक्षाओं पर खरे उतर रही है। क्योंकि हमारा भी मानना है कि कोई निर्माण या इंफ्रास्ट्रक्चर ऐसा हो जो लोगों से जुड़ा हो, निर्माण कार्य केवल शो के लिए नहीं होना चाहिए। पिछले 2 सालोें में यह बदलाव देखने को मिल रहा है कि लोगों की भागीदारी एवं उनकी उपयोगिता को ध्यान दिया जा रहा है।
पर्यटन विकास से मिलेगी स्थानीय विकास को गति
मुख्यमंत्री ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए किए जा रहे कार्यो के संबंध में लोकवाणी में कहा कि प्रदेश में एक दौर ऐसा आया था, जब पर्यटन को कुछ प्रचलित केन्द्रों में ही समेटकर रखने और मॉल कल्चर में ढालने के प्रयास हो रहे थे। दुनिया में अपनी प्राचीन धरोहरों को सहेजने और प्राकृतिक सुन्दरता के स्थानों में अधोसंरचना के विकास के प्रयासों को सराहा जाता है। लेकिन छत्तीसगढ़ में ऐसा नहीं हो रहा था, इसलिए हमने पर्यटन विकास की संभावनाओं को बहुत बड़े फलक में आकार देने का प्रयास किया है। इस क्रम में जशपुर जिले के सरना-बालाछापर तथा कोइनार-कुनकुरी में, बिलासपुर जिले के कुरदर में, कोण्डागांव जिले के धनकुल में, कांकेर जिले के नथिया नवागांव में एथनिक रिसॉर्ट, सरगुजा जिले के महेशपुर में साइट एमेनिटी का विकास किया जा रहा है। सिरपुर को ऐतिहासिक बौद्ध पर्यटन स्थल के रूप में विश्व के मानचित्र में स्थान दिलाने का प्रयास किया जा रहा है। वाटर टूरिज्म तथा एडवंेचर टूरिज्म के लिए कोरबा जिले के सतरेंगा, धमतरी जिले के मेडम सिल्ली डेम जिसका नामकरण हमने बाबू छोटे लाल श्रीवास्तव के नाम पर किया है तथा रविशंकर डेम गंगरेल, गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही जिले के मलानिया जलाशय, कांकेर जिले के दुधावा जलाशय, महासमुन्द जिले के कोडार डेम, बिलासपुर जिले में संजय गांधी जलाशय खुंटाघाट-रतनपुर में अधोसंरचना का विकास किया जा रहा है।