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निर्माण कार्यों में कमीशन लेना, मुखबिरी के शक में पिटाई करना यही नक्सलवाद का सच है-डॉ अभिषेक पल्लव

नक्सलियों को निर्माण कार्यों में पांच प्रतिशत कमीशन देने की बात सरपंच लिखित बयान में स्वीकारा

दंतेवाड़ा। जिले के नक्सलगढ़ अंदरूनी ग्रामों में होने वाले निर्माण कार्यों की कुल राशि का पांच प्रतिशत हिस्सा नक्सलियों को जाता है। यह कोई नई बात नही है, लेकिन अब इसके पुख्ता प्रमाण के रूप में पखनाचुआ के बाद अब कटेकल्याण ब्लॉक के एक और गांव के सरपंच ने अपने बयान में कबूल किया कि निर्माण कार्यों की राशि का पांच प्रतिशत हिस्सा नक्सलियों को देता आ रहा है। दंतेवाड़ा एसपी डॉ अभिषेक पल्लव इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि अंदरूनी गांवों में नक्सली ग्रामीणों, सरपंचों पर दबाव बनाकर कोरोना काल में ग्रामीणों का चांवल नक्सलियों ने लूटा, दबाव डालकर कैंप का विरोध करवाया, विकास के निर्माण कार्यों में पांच प्रतिशत कमीशन लेते हैं, ग्रामीणों की मुखबिरी के शक में पिटाई करते हैं, यही नक्सलवाद का सच है। एसपी ने बताया कि अंदरूनी गांवों में जिन भी सरपंचों के नाम नक्सल सहयोग में सामने आ रहे हैं, उनसे लिखित में बयान लेकर समझाइश दी जा रही है कि दोबारा ऐसा न करें अन्यथा नियमत: कार्रवाई की जाएगी।
प्राप्त जानकारी के अनुसार दंतेवाड़ा पुलिस ने लोन वर्राटू अभियान के तहत नक्सलियों और नक्सल सहयोगियों की सूची बनाई गई है। नक्सलगढ़ के अंदरूनी गांवों के नक्सल सहयोगी सरपंचों के नाम भी इसमें शामिल थे, जिनके नाम नक्सल सहयोग के मामले में सामने आए हैं, उन्हें पुलिस ने बुलाकर बयान लिया है। हालांकि पुलिस ने उन सरपंचों के नाम का खुलासा सुरक्षा के दृष्टिकोण से नही किया है, वहीं इस बात का भी खुलासा नहीं किया गया है कि अंदरूनी गांवों के कितने सरपंचों के नाम नक्सल सहयोग में हैं। इसी कड़ी में कटेकल्याण ब्लॉक के एक गांव के सरपंच ने पुलिस को लिखित में बयान दिया है कि मैं सरपंच बनने के बाद 10 बार नक्सलियों से मिला हूं और उनकी बैठकों में शामिल हुआ हूं। सरपंच ने बताया कि गांव में आंगनबाड़ी, शौचालय, गोठान, देवगुड़ी जैसे काम स्वीकृत हुए हैं। इन कामों की पांच प्रतिशत राशि नक्सलियों को कमीशन के तौर पर देता हूं। सरपंच ने पुलिस को दिए बयान में भी यह कहा है कि टेटम में कैंप खुलने से पहले नक्सलियों ने ही रैली निकालने के लिए दबाव बनाया था। सरपंच ने यह भी बताया कि ग्रामीणों की पिटाई के मामले में मैंने नक्सलियों के सामने विरोध भी किया था, जिसके बाद नक्सली इस पर भड़क गए व जान से मारने की धमकी भी दी थी। उन्होने बताया कि गांव के ट्रैक्टर से प्रति ट्रैक्टर 10 हजार रुपए की सालाना लेवी नक्सलियों को देनी पड़ती है।

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