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बजट में इस बार आकार नहीं, बढ़ेगा छत्तीसगढ़िया स्वाभिमान

रायपुर: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल विधानसभा में सोमवार को दोपहर साढ़े 12 बजे वित्तीय वर्ष 2021-22 का बजट पेश करेंगे। चालू वित्तीय वर्ष कोरोना की वजह से प्रभावित रहा। लाकडाउन समेत अन्य कारणों से सरकार को प्राप्त होने वाला राजस्व भी प्रभावित हुआ है। जीएसटी क्षतिपूर्ति और केंद्रीय कर में मिलने वाला करीब 14 हजार करोड़ रुपये भी केंद्र सरकार से नहीं मिला है।

ऐसे में कोरोनाकाल के इस पहले बजट में किसी बड़ी घोषणा की उम्मीद नहीं की जा रही है। बजट का आकार भी पिछले वर्ष की तरह एक लाख करोड़ के आसपास ही रहने की संभावना है। इसके बावजूद अधोसंरचना विकास के साथ शिक्षा, सुपोषण, संस्कृति-पर्यटन और सुरक्षा के साथ ‘छत्तीसगढ़िया स्वाभिमान” को बजट में पूरा महत्व दिए जाने की उम्मीद है।

अफसरों के अनुसार प्रदेश के राजस्व में आई कमी को देखते हुए सरकार केंद्र प्रवर्तित योजनाओं यानि जिन योजनाओं के लिए केंद्र सरकार से आर्थिक सहायता मिल सकती है, उन पर बजट में फोकस किया जा सकता है। इनमें स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास, नक्सल प्रभावित व आकांक्षी जिलों का विकास और शहरी विकास शामिल है। ऐसे में शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला-बाल विकास सुरक्षा, आदिम जाति कल्याण व पीएचई को ज्यादा बजट मिल सकता है।

बजट में प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं नवरा, गरुवा, घुरुआ, बाड़ी के साथ ही गोधन न्याय और राजीव गांधी न्याय योजना के लिए भी पर्याप्त बजट का प्रावधान किया जा सकता है। सरकार राजीव गांधी न्याय योजना का दायरा बढ़ाने की घोषणा कर सकती है। सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं में शामिल स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूलों को ब्लाक स्तर तक ले जाने का भी ऐलान बजट में हो सकता है।

अधोसंरचना विकास के साथ संस्कृति और पर्यटन को बढ़ावा देने पर जोर रहेगा। नव गठित गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिला के साथ नए तहसीलों के लिए बजट का प्रावधान किया जा सकता है। कृषि आधारित उद्योगों, फूड पार्क, पिछड़े और आदिवासी क्षेत्रों में उद्योगों को बढ़ावा देने उद्योग नीति के अनुसार रियायत का दायरा बढ़ाया जा सकता है।

घट-बढ़ सकता है विभागों का बजट

भरोसेमंद सूत्रों के अनुसार मुख्य बजट का आकार नहीं बढ़ेगा, लेकिन पिछले वर्ष विभागों को मिले बजट में फेरबदल हो सकता है। स्वास्थ्य, शिक्षा और महिला बाल- विकास विभाग का बजट पिछले वर्ष की तुलना में कुछ बढ़ाया जा सकता है। वित्तीय स्थिति सामान्य होने पर बाकी विभागों को बजट देने के साथ ही नई योजनाओं को भी शुरू किया जा सकता है।

राजस्व बढ़ाने पर सरकार का जोर

देश में जीएसटी लागू होने के बाद से राज्य के पास कर लगाने का विकल्प खत्म हो गया है। इसके बावजूद प्रदेश सरकार बजट में अपना राजस्व बढ़ाने के उपायों पर फोकस कर सकती है। इसमें पंजीयन शुल्क व आबकारी टैक्स प्रमुख है। सूत्रों के अनुसार सरकार कुछ सेक्टरों में दी जा रही सब्सिडी और रियायत भी कम या खत्म कर सकती है।

पहली बार चाइल्ड बजट

वित्तीय वर्ष 2021-22 के बजट में पहली बार चाइल्ड बजट अलग से पेश किया जाएगा। शून्य से 18 वर्ष तक के बच्चे इस बजट के दायरे में रखे गए हैं। अफसरों के अनुसार इसके तहत विभिन्न् विभागों में इस आयु वर्ग के बच्चों के लिए चलाई जा रही योजनाओं को एक साथ चाइल्ड बजट के रूप में पेश किया जाएगा।

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