बारदाने में ही केंद्र से 178.45 करोड़ स्र्पये का लाभ कमाएगी राज्य सरकार
बिलासपुर। समर्थन मूल्य पर धान खरीदी के दौरान बारदाना आपूर्ति को लेकर राज्य सरकार ने हायतौबा मचाया। केंद्र सरकार को कटघरे में खड़ा करने की कोश्ािश भी हुई थी। अब धान खरीदी का कार्य पूरा हो गया है। राज्य सरकार को कस्टम मिलिंग के तहत चावल की आपूर्ति भारतीय खाद्य निगम(एफसीआइ) को करनी है। किसानों से जिन बारदानों को 15 स्र्पये में राज्य सरकार ने खरीदा है अब उसी बारदाने से चावल आपूर्ति के एवज में 58 स्र्पये केंद्र सरकार से वसूलेगी। अकेले बारदाने में ही केंद्र से 178.45 करोड़ रुपये का लाभ राज्य सरकार कमाएगी।
ये है कस्टम मिलिंग में चावल आपूर्ति का नियम
केंद्र सरकार चावल की आपूर्ति के दौरान प्रति बारदाना 58 स्र्पये के हिसाब से भुगतान करती है। इधर राज्य सरकार ने इस वर्ष नए और पुराने बारदानों में किसानों से धान खरीदा है। इस तरह केंद्र सरकार को किसानों से खरीदे गए 4.15 करोड़ बारदानों में चावल की आपूर्ति करने पर राज्य सरकार को 178.45 करोड़ रुपये का फायदा होगा।
राज्य शासन ने 54 स्र्पये में की थी खरीदी
राज्य शासन ने धान खरीदी से पहले जूट कमिश्नर कोलकाता से एक लाख नौ हजार 696 गठान बारदाने की खरीदी की थी। एक गठान में 500 बारदानों की पैकिंग रहती है। जूट कमिश्नर ने प्रति बारदाना 54 स्र्पये दर निर्धारित किया था। नए बारदाने में भी राज्य सरकार केंद्र से प्रति बारदाना चार स्र्पये के मुनाफा कमाएगी।
कस्टम मिलिंग के तहत चावल आपूर्ति के एवज में राज्य शासन द्वारा बारदाना भी खरीदा जाता है। इसके एवज में प्रति बारदाना 58 स्र्पये का भुगतान किया जाता है। जूट कमिश्नर कोलकाता से एक लाख नौ हजार 696 गठान बारदाना राज्य शासन ने खरीदा था। इसके अलावा किसानों से चार करोड़ 15 लाख बारदाना खरीदा गया है। चावल की आपूर्ति एफसीआइ को होती है।