पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने बहुत से भारतीयों को अपने परिवार से मिलाने में मदद की थी जो दूसरे देशों में फंस गए थे। उनमें से एक थी गीता जिसकी कहानी ने सभी लोगों की आंखे नम कर दी थी। पीटीआई-भाषा के अनुसार, कई साल पहले पाकिस्तान से भारत आई एक मूक-बधिर लड़की गीता को ‘आखिरकार भारत में अपनी असली मां मिल गई है’।
पाकिस्तान के डॉन अखबार ने ईधी वेलफेयर ट्रस्ट के पूर्व प्रमुख दिवंगत अब्दुल सत्तार ईधी की पत्नी बिलकिस ईधी के हवाले से बताया कि ‘महाराष्ट्र में गीता को अपनी असली मां मिल गई है’।
गीता को सालों बाद मिला अपना परिवार
गौरतलब है कि 2015 में तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने गीता को अपने वतन भारत लाने का काम किया था। गीता बहुत छोटी थी जब वह गलती से पाकिस्तान चली गई लेकिन वहां ईधी फाउंडेशन ने उनकी देखभाल की और 2015 में स्वराज की पहल के चलते उसे भारत भेज दिया गया। अब खबरों के अनुसार, आखिरकार गीता को अपना परिवार मिल गया है। उसे महाराष्ट्र में अपनी असली मां मिल गई है।
भाषा के मुताबिक, बिलकिस ने बताया, “गीता मेरे संपर्क में थी और इस सप्ताहांत उसने मुझे अपनी असली मां से मिलने की अच्छी खबर दी।” उन्होंने आगे बताया कि ‘गीता का असली नाम राधा वाघमारे है और उसे उसकी असली मां महाराष्ट्र राज्य के नैगांव में मिली हैं’।
गीता की कहानी
गीता के मिलने की कहानी बताते हुए बिलकिस ने बताया कि ‘उन्हें सबसे पहले वह रेलवे स्टेशन पर मिली थी और उसकी उम्र 11-12 साल की रही होगी’। फिर वह उसे अपने साथ ले आई और उसे अपने कराची के केंद्र में रखा। बिलकिस ने बताया- ‘वह किसी तरह से पाकिस्तान आ गई थी और जब कराची में हमें मिली थी तो बेसहारा थी।’
आगे बिलकिस के मुताबिक, उन्होंने उस बच्ची का नाम ‘फातिमा’ रखा था लेकिन जब उन्हें पता चला कि वह हिंदू है तो उसका नाम ‘गीता’ रख दिया गया। बता दें कि गीता सुन और बोल नहीं सकती है।
बिलकिस ने आगे बताया कि ‘गीता को अपने असली माता-पिता ढूंढने में करीब साढ़े चार साल का वक्त लगा और इसकी पुष्टि डीएनए जांच के जरिए की गई है’। उन्होंने बताया कि ‘गीता के असली पिता की कुछ साल पहले मौत हो चुकी है और उसकी मां मीना ने दूसरी शादी कर ली है।’