रायपुर। नगर निगम जोन-तीन शंकर नगर में हुए 71 लाख के वेतन घोटाले के मुख्य आरोपित सहायक ग्रेड तीन गंगाराम सिन्हा के सपरिवार ओडिशा में छिपे होने की पुख्ता जानकारी मिलते ही शुक्रवार सुबह पुलिस टीम रवाना हुई है। वहीं, अन्य आरोपितों में प्लेसमेंट में कार्यरत कम्प्यूटर आपरेटर नेहा परवीन समेत तीन रिश्तेदारों की तलाश में संभावित ठिकानों पर दबिश दी जा रही है।
सिविल लाइन पुलिस थाना प्रभारी आरके मिश्रा ने नईदुनिया को बताया कि वेतन घोटाला सामने आने के बाद 18 जनवरी 2021 से गंगाराम सिन्हा बिना बताए जोन दफ्तर से गायब है। उनके घर में भी ताला लगा है। वहीं नेहा परवीन भी घर बंदकर फरार है। दोनों का मोबाइल स्वीच आफ होने से अब तक संपर्क नहीं हो पाया। उनके छिपे होने के हर संभावित ठिकानों पर पुलिस छापेमारी कर रही है। जल्द ही वे पकड़े जाएंगे।
गंगाराम के पकड़े जाने के बाद ही पता चल पाएगा कि लाखों के घोटाले के इस खेल में और कौन-कौन निगम के अधिकारी-कर्मचारी शामिल रहे हैं। प्रारंभिक जांच में निगम के पांच अन्य अधिकारी-कर्मचारियों की भूमिका संदिग्ध पाई गई है। इनसे भी पूछताछ की जाएगी।
यह है मामले के आरोपित
मामले में जोन-3 के सहायक ग्रेड तीन गंगाराम सिन्हा, उनकी पत्नी देवकुमारी सिन्हा, बेटा शुभम सिन्हा, रिश्तेदार अशोक सिन्हा, कंप्यूटर आपरेटर नेहा परवीन और उनकी रिश्तेदार सरवरी बेगम, खलिदा अख्तर और निगार परवीन को आरोपित है।
जांच के घेरे में कई और
पुलिस ने जांच का दायरा बढ़ाते हुए आरोपितों के छह रिश्तेदारों को फर्जी तरीके से वेतन देने के मामले में 2016 से 2020 तक जोन तीन में पदस्थ रहे कमिश्नरों, बाबूओं को जांच के घेरे में रखा है। चौंकाने वाली बात यह कि निगम के कर्मचारियों की सूची का मिलान किए बगैर चेक-वाउचर में जिम्मेदार अफसरों ने आंख मूंदकर हस्ताक्षर कर वेतन का आहरण करने की छूट गंगाराम समेत अन्य को क्यों दे रखी थी।