छत्तीसगढ़ी और ग्रामीण बोली से बच्चों को पढ़ाने की मांग
रायपुर। छत्तीसगढ़ी भाषा और सुदूर ग्रामीण इलाकों की सहयोगी भाषा, स्थानीय बोली में स्कूलों में पढ़ाई लिखाई करने की मांग को लेकर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। रायपुर के बूढ़ा तालाब धरना स्थल पर जागरूकता कार्यक्रम हुए। साथ ही सरकार से मांग की गई है कि स्थानीय भाषा को प्राइमरी स्कूलों के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए।
छत्तीसगढ़ी और सहयोगी भाषा हल्बी गोंडी, सरगुजिया, कुडुख भतरी बोली से पढ़ाई शुरू करने की मांग की गई है। साथ ही भाषाई पहचान को लेकर जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है। बूढ़ा तालाब धरना स्थल में छत्तीसगढ़ी राजभाषा के विकास के लिए और ग्रामीण बोली को बढ़ावा देने महिलाओं ने मंगलवार को छत्तीसगढ़ी गीत ‘अरपा पैरी के धार महानदी हे अपार’ गाकर जागरूकता फैलाई।
गौरतलब है कि मातृभाषा में पांचवीं तक पूर्ण शिक्षा और सरकारी कामकाज में छत्तीसगढ़ी भाषा को लागू करने की मांग को लेकर सोमवार से तीन दिवसीय जन जागरण की शुरुआत हो चुकी है। बूढ़ा तालाब धरना स्थल पर यह आयोजन छत्तीसगढ़िया महिला क्रांति सेना, छत्तीसगढ़ी राजभाषा मंच सहित विभिन्न संगठनों द्वारा किया जा रहा है।
छत्तीसगढ़ी को हक मिले
छत्तीसगढ़िया महिला क्रांति सेना की अध्यक्ष लता राठौर ने बताया कि जब तक मातृभाषा छत्तीसगढ़ी में प्राथमिक स्तर तक शिक्षा नहीं दी जाती, तब तक हमारा आंदोलन जारी रहेगा। छत्तीसगढ़ीयों को उनका वाजिब हक, उनकी भाषा में शिक्षा पाने का अधिकार दिया जाना चाहिए। सभी प्रदेशों में उनकी भाषा में शिक्षा दी जाती है तो छत्तीसगढ़ में क्यों लागू नहीं किया जा रहा है। अभी तीन दिन का धरना दिया जा रहा है, मांग पूरी नहीं हुई तो प्रदेशभर में जनजागरण चलाया जाएगा। धरने में छत्तीसगढ़ी क्रांति सेना के अध्यक्ष अमित बघेल, लेखक गजेंद्र वर्मा ,अरुणा वर्मा, ऋतुराज साहू समेत काफी संख्या में महिलाएं मौजूद है। धरना बुधवार को भी जारी रहेगा।