राजनीति जो ना कराए कम ही है। सब समय का खेल है। वक्त-वक्त की बात है। एक समय वह भी था जब प्रदेश में सरकार थी और समय काफी व्यस्त गुजर रहा था। तब वरिष्ठ से लेकर अनुषांगिक संगठनाें के कुर्सीधारी लोगों के समय पर अपनों से बात करने की फुर्सत तक नहीं थी। सरकार चली गई तो समय ही समय है। सत्ता क्या गई दरबार खाली हो गया। कार्यकर्ताओं का आना-जाना भी कम हो गया। कार्यकर्ता के दम पर जनता के बीच राजनीति चमकाने वालों की अब हवा निकलने लगी हैैै तभी तो सेवा के जरिए राजनीति चमकाने की नई जुगत भिड़ा ली है। कोविड-19 टीका लगवाने अस्पताल आने वाले बुजुर्गों की सेवा करते नजर आ रहे हैं युवा व महिला मोर्चा के भाजपाई। बुजुर्गों को पानी पिला रहे हैं। सेवा के जरिए राजनीति में बने रहने का यह तरीका लाजवाब है। कुछ नहीं से कुछ अच्छा ही है।
पानी रे पानी तेरा रंग कैसा, जिसमें मिलाओ लगे उस जैसा। हिंदी फिल्म का प्रसिद्ध यह गाना आज कल कुछ ज्यादा ही चरितार्थ होते दिखाई दे रहा है। जल ही जीवन है और जल है तो कल है… जैसे स्लोगन भी इन दिनों शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों के मकानों से लेकर सरकारी भवनों में गेरू के रंग में लिखा हुआ दिखाई पड़ रहा है। दीवारों में लिखे इन नारों का लोगों पर खास असर होता दिखाई नहीं दे रहा है और ना ही जागरूकता ही नजर आ रही है। पानी बचाने की चिंता करते कोई दिखाई नहीं दे रहा है। अफसर बैठक-बैठक खेल रहे हैं। वातानुकूलित चेंबर में हो रही बैठकों का दुष्परिणाम भी सामने आ रहा है। अंबिकापुर की जीवन दायिनी कन्हर नदी जो दो राज्यों के लोगों की जीवन रेखा है, उसका आंचल सूख गया है। भूजल रसातल में जा रहा है पर इसकी चिंता किसी को नहीं।
कोरोना की चिंता करिए जनाब
जान है तो जहान है। जब हम कामकाज के सिलसिले में घर से निकले तो इस मंत्र को मन ही मन याद करें। फिर चेहरे को मास्क से अच्छी तरह ढंके और इसके बाद ही घर से गंतव्य के लिए कूच करें। समय की यही मांग है और सबकी यह जरूरत भी है। अपने साथ-साथ स्वजन की चिंता ज्यादा जरूरी है, जिस पर हम आश्रित हैं या जो लोग हम पर आश्रित हैं। ईश्वर ना करे कोई अनहोनी हो। अनहोनी की घटना को थोड़ी सी जागरूकता और सावधानी के साथ टाला जा सकता है। यह सब हमने एक साल पहले किया भी है। जब पहले सावधानी बरतते हुए कोरोना को दूर रखने में हम सब कामयाब रहे हैं तो फिर अब किसी बात की परेशानी। वही काम तो हमें करना है जो बीते साल कर चुके हैं। हमारी जिम्मेदारी कुछ जयादा ही बढ़ गई है। कोरोना का खतरनाक जो है।
सवाल दागने में अव्वल नेताजी
विधानसभा सत्र के दौरान प्रदेश और अपने क्षेत्र की समस्या को लेकर विधानसभा में सवाल-जवाब करने में अपने ही जिले के जनप्रतिनिधि आगे रहे हैं। विधानसभा क्षेत्र की जनता की चिंता कहिए या फिर इनकी खुद की राजनीतिक सक्रियता। कारण चाहे जिसे भी मानें और समझें। तीखे सवालों के जरिए सरकार को घेरने में जिले के विधायकों ने सदन के भीतर जोरदार प्रदर्शन किया है। तीखे सवालों के बीच मंत्रियों को जवाब देने में पसीना भी आया। बिल्हा विधानसभा क्षेत्र के विधायक ने नाम के अनुरूप नेता प्रतिपक्ष की भूमिका गजब की निभाई। सत्र के दौरान एक दो या फिर तीन नहीं पूरे 96 सवाल दागे। सवाल भी ऐसा कि जवाब देने में सरकार को पसीना आ गया। राज्य सरकार ने बारदाना खरीदी को लेकर जोरदार तरीके से मुद्दा बनाया था। नेताजी के सवाल से सरकार बेपर्दा हो गई। किसानों के बारदाना के एवज में सरकार करोड़ों कमाएगी वह अलग।