कोरोना से मौत, जलाने के लिए करना पड़ रहा तीन घंटे इंतजार
रायपुर। राजधानी में छोटे-बड़े मिलाकर कुल 14 मुक्तिधाम हैं। इन मुक्तिधामों में लाशें जलाने की जगह नहीं मिल रही है। मुक्तिधाम के सेवादारों के मुताबिक श्मशान घाट में एक घंटे के अंतराल में लाशें पहुंच रही हैं। सबसे ज्यादा स्थिति बूढ़ापारा मारवाड़ी मुक्तिधाम, देवेंद्र नगर मुक्तिधाम में खराब है। इन दोनों जगहों में कोविड-19 से मरने वालों की लाशें जलाई जा रही हैं।
लाशों को विद्युत शवदाह गृह में जलाया जा रहा है। मारवाड़ी मुक्तिधाम के सेवादार मनीष महानंद ने बताया कि यहां रोज तीन से पांच लाशें कोरोना से मौत वाली आ रही हैं। एक शव को जलाने के लिए तीन घंटे का समय लग रहा है। इसी तरह देवेंद्र नगर मुक्तिधाम का हाल है। यहां रोज तकरीबन सात से आठ लाशें कोरोना से मरने वाली की जलाई जा रही है। यहां सामान्य मौत की संख्या भी पांच से सात है।
ऐसे समझें मुक्तिधामों की स्थिति
शहर के मारवाड़ी मुक्तिधाम में कोरोना और सामान्य ढंग से मरने वालों की रोज 10 से अधिक लाशें पहुंच रही हैं। पहले चार से पांच लाशें पहुंचती थीं। महादेव घाट के सेवादार राजेश अवधिया ने बताया कि यहां रोज चार से पांच लाशें पहुंच रही हंै। फिलहाल यहां कोविड से मरने वाले का अंतिम संस्कार नहीं किया जा रहा है। इसी तरह तेलीबांधा मुक्तिधाम के कंठी बाबा ने बताया कि मार्च महीने से यहां रोज पांच से अधिक शव पहुंच रहे हैं। पहले यहां आंकड़ा दो से तीन था। इसी तरह कोटा मुक्तिधाम, राजेंद्र नगर, लालपुर, बोरियाखुर्द, टिकरापारा आदि मुक्तिधामों में पहले मुकाबले मार्च महीने से दोगुना शव पहुंच रहे हैं।
15 दिन में बिगड़े हालात
मुक्तिधामों में सेवादार भी मानते हैं कि 15 दिन से हालत बिगड़े हैं। मारवाड़ी मुक्तिधाम के मनीष महानंद बताते हैं कि सामान्य दिनों में यहां तीन से पांच लाशें पहुंचती हैं, लेकिन अब हालत कुछ अलग है। यहां 10 से अधिक शव पहुंच रहे हैं। रोजाना यहां चार से पांच कोरोना संक्रमितों का अंतिम संस्कार भी हो रहा है। वहीं सामान्य मौतों की संख्या भी अचानक बढ़ गई है।
निधन समाचार कालम से लगा सकते हैं अंदाजा
आमतौर में अखबारों में निधन कालम में तीन से चार लोगों का निधन समाचार प्रकाशित होता है, लेकिन अखबारों में इनकी संख्या तिगुना हो गई है, जहां 12 से अधिक निधन समाचार प्रकाशित हो रहे हंै। इससे कोरोना महामारी के खतरे का अंदाजा लगा सकते हैं।