छत्तीसगढ़

बातों-बातों में, ताकि वन्यप्राणी रहें सुरक्षित स्वच्छंद

बिलासपुर। गर्मी की शुरुआत में वन और वन्यप्राणियों दोनों के लिए खतरा कई गुना बढ़ जाता है। इन दिनों छत्तीसगढ़ के जंगलों में आग लगी हुई है। दावानल ऐसा कि हाहाकार मचा है। कीमती इमारती लकड़ियां देखते ही देखते आगे के हवाले हो रही हैं और जलकर खाक में तब्दील हो जा रही हैं। धधकते जंगल के बीच वन्यप्राणी कैसे रह पाएंगे? बारिश के दिनों से लेकर गर्मी की शुरुआत के पहले तक जंगलों में हरियाली छाई थी। दावानल ने ना केवल हरियाली छीन ली बल्कि वन्यप्राणियों के लिए मुसीबत भी खड़ी कर दी। रहवास की समस्या और जान को खतरा। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि जनवरी से अब तक चार हजार से अधिक स्थानों पर आग लग चुकी है। जशपुर के अफसरों ने आग पर काबू पाने के लिए एक मशीन का प्रयोग शुरू किया है। यदि यह कोशिश प्रभावी रही तो पूरे प्रदेश के लिए जशपुर माडल बन जाएगा।

अन्न्दाता की मौत और सियासत

एक दिन पहले एक अन्न्दाता भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया। इस बार कर्ज से नहीं बल्कि व्यवस्थागत खामियों ने उसे आत्महत्या करने के लिए विवश कर दिया। विवशता ऐसी कि अपने स्वजनों को हमेशा हमेशा के लिए अलविदा करने की ठान ली। नाराजगी स्वजनों से नहीं थी। वह सरकारी कामकाज और उसमें शामिल व्यवस्था का शिकार हो गया। राजस्व विभाग का सबसे छोटा पर अहम अमला पटवारी जिसके हाथ में आपकी संपत्ति के दस्तावेज हंै। वे जब चाहे जो कर दे। छोटूराम के साथ ऐसा नहीं हुआ। उनको अपनी संपत्ति के दस्तावेज ही पटवारी से नहीं मिले। इसी अवसाद में वह फांसी पर झूल गया। अन्न्दाता का परिवार देखते ही देखते बिखर गया। और यह क्या। जमकर राजनीति भी हो गई। सत्ताधारी दल के जनप्रतिनिधि ने स्वजनों का आंसू पोंछने का काम किया तो विपक्षी दल के दिग्गजों ने भी ईमानदारी के साथ अपना विपक्षी धर्म निभाने कसर नहीं छोड़ी।

कोरोना को हराना ही होगा

कोरोना की दूसरी लहर अब खतरनाक रूप लेती जा रही है। संक्रमण का फैलाव जिस तेजी के साथ हो रहा है। सावधानी और सतर्कता ही सबसे कारगर उपाय है। चेहरे पर मास्क लगाएं और शारीरिक दूरी का पालन करें। बार-बार हाथ को सैनिटाइजर से सैनिटाइज करें। त्रिगुण ही कोरोना को पराजित कर सकता है। यही कारगार हथियार और उपाय है। अफसोस इस बात की है कि हम सहज उपाय भी करने से कतरा रहे हैं। या फिर लापरवाही बरत रहे हैं। हम ऐसा कर अपने साथ स्वजनों को भी खतरे में डाल रहे हैं। लहर देखिए। महाराष्ट्र से चली और देखते ही देखते राजनादगांव और दुर्ग के रास्ते समूचे छत्तीसगढ़ में छा गई है। अब तो हालात बेकाबू हो चले हैं। पर इसके लिए कोरोना से ज्यादा हम जिम्मेदार हैं। यह जवाबदेही तो हम सबको लेनी ही पड़ेगी। अभी भी समय है। हमें सतर्कता के साथ समझदारी दिखानी ही पड़ेगी।

Patrika Look

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