छत्तीसगढ़ में नक्सलियों ने जारी की बंधक जवान की तस्वीर
सुकमा। नक्सलियों ने बुधवार को बंधक बनाए गए जवान राजेश्वर सिंह मनहास की तस्वीर जारी की है। उनका कहना है कि जब तक सरकार की ओर से मध्यस्था का निर्णय नहीं लिया जाता तब तक जवान माओवादियों के कब्जे मे रहेगा। उधर जवान के भाई रणजीत सिंह ने नईदुनिया से चर्चा में कहा कि फोटो पर विश्वास नहीं है। नक्सली वीडियो या आडियो भेजें, इस तरह की फोटो उनके मोबाइल में पहले की भी हो सकती है। छत्तीसग़ढ़ के बीजापुर जिले में तीन अप्रैल को हुई मुठभेड़ के बाद अगवा किए गए जवान राकेश्वर सिंह मनहास की रिहाई के लिए मंगलवार को नक्सलियों ने शर्त रखी है। दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी की ओर से जारी दो पेज के पर्चे में जहां मुठभेड़ में चार नक्सलियों केमारे जाने की बात मानी गई है, वहीं कहा गया है कि सरकार पहले मध्यस्थ नियुक्त करे, तब जवान मनहास की रिहाई करेंगे। इससे पहले पुलिस ने दावा किया था कि मुठभेड़ में कम से कम 12 नक्सली मारे गए हैं।
नक्सलियों ने जारी पर्चे में कहा है कि ओडी सन्नू, पदाम लखमा, कोवासी बुधरू और नूपा सुरेश मुठभेड़ में मारे गए हैं। इनसे से सन्नू का शव उनको नहीं मिला है। इसी पर्चे में यह भी दावा किया गया है कि फोर्स के 14 हथियार और दो हजार कारतूस उनके पास हैं। इसके प्रमाण के तौर परहथियारों की तस्वीर भी जारी की गई है। पर्चे में यह भी कहा गया है कि वे बातचीत के विरोध में नहीं हैं, पर इसके लिए माहौल बनाना सरकार का काम है।
जवान की रिहाई तब तक नहीं होगी, जब तक सरकार मध्यस्थ नहीं नियुक्त कर देती। तब तक वह हमारे पास सुरक्षित रहेगा। उधर अगवा जवान की रिहाई के लिए पुलिस चौतरफा प्रयास कर रही है। बस्तर आइजी सुंदरराज पी ने बताया कि मीडिया समेत गांव के मध्यस्थों को इस काम में लगाया गया है। इलाके की सघन सर्चिंग भी की जा रही है। अभी जवान का पता नहीं चला है, पर जल्द ही उसे रिहा करा लेंगे।
मंगलवार को मीडिया की टीम उस इलाके में गई थी। ग्रामीणों ने मीडिया की टीम को गांव में ही रुकने को कहा और नक्सलियों के पास संदेश भेजा। मगर संदेश आया कि लौट जाएं। इसके बाद शाम को उनका पर्चा आ गया। हालांकि ग्रामीणों ने बताया कि जवान सुरक्षित है। उसका उपचार कराया गया है। मुठभेड़ के दिन वह नक्सलियों से घिर गया था। फिर उसने हाथ उठाकर सरेंडर कर दिया।