छत्तीसगढ़

चुनौतियों से भरा रहा पढ़ई तुंहर दुआर, फिर भी दे गया अमिट छाप

रायपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पिछली साल छत्तीसगढ़ शासन की महत्वाकांक्षी योजना पढ़ई तुंहर दुआर का शुभारंभ किया था। स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम के सफल निर्देशन में कार्यक्रम संचालित किया गया। एक वो दिन था और एक आज का दिन। इस एक साल में भले ही दुनिया के चारों ओर कोरोना पर हाहाकार मचा है, पर दूसरी ओर छत्तीसगढ़ प्रदेश ने शिक्षा के क्षेत्र में कई परचम लहराये जो, शिक्षण क्षेत्र से जुड़े सभी कर्मठ अधिकारी तथा शिक्षकों की मेहनत से ही संभव हो पाया है।

छत्तीसगढ़ ही नहीं भारत के अन्य राज्यों में भी इसकी तारीफ की जा रही है। हाल ही में इस योजना को ई-गवर्नेंस अवार्ड कम्प्यूटर सोसायटी ऑफ इंडिया द्वारा प्रदान किया गया है। ज्ञातव्य है कि 25 मार्च 2020 से कोविड महामारी की वजह से स्कूलों को बंद किया गया था, जिससे बच्चों के सीखने की सतत प्रक्रिया बहुत अधिक प्रभावित हुई। कोविड-19 के चलते प्रदेश में लॉकडाउन में सबसे बड़ी चुनौती थी की बच्चों को सीखने की सतत प्रक्रिया के अवसर बराबर जारी रहें, एवं सुनिश्चित करना की विद्यालय बंद होने के कारण बच्चों के सीखने के स्तर में गिरावट नहीं आए तथा ड्रापऑउट अनुपात न बढ़ें।

इस कार्यक्रम को स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. आलोक शुक्ला ने कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान कार्यालयों के बंद होने की स्थिति में अपने निवास पर एनआईसी और विभाग की टीम के साथ बहुत ही कम लागत में बिना किसी बाहरी एजेंसी की सहायता लिए पूरी तरह विभागीय संसाधनों से सीजीस्कूलडॉटइन पोर्टल का निर्माण किया। वालेंटियर शिक्षक द्वारा नई व्यवस्था में छात्रों को जागरूक एवं साथ लेते हुए इस पोर्टल में एक माह के भीतर 2.2 मिलियन छात्र पंजीकृत किए गए।

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