नए साल में बन रहा है अंगारक योग, जानिए इस साल क्या-क्या हो सकता है
रायपुर। हिंदू संवत्सर 2078 का शुभारंभ 13 अप्रैल को चैत्र नवरात्रि से हो गया है। नए साल की कुंडली में कालसर्प और अंगारक योग होने से यह साल संक्रामक रोगों को देखते हुए नुकसानदायी है। चूंकि इस साल का राजा और मंत्री दोनों मंगल हैं, इसलिए विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता है। हिंगलाज सेना के प्रदेश प्रभारी, शंकराचार्य आश्रम के प्रमुख ज्योतिषाचार्य डॉ इन्दुभवानन्द महाराज के अनुसार, विक्रम संवत 2078 शाके 1943 का आरंभ चैत्र प्रतिपदा मंगलवार से हुआ है। यह नया साल आनंद नामक संवत्सर के नाम से है।
नए हिंदू साल का राजा मंगल व मंत्री भी मंगल है। मंत्री और राजा एक होने से अधिकारियों और मंत्रियों में एकता बनी रहेगी। केंद्र और राज्यों में भी समरसता रहेगी। जगत लग्न के विचार से लग्नेश गुरु व्ययभाव में बैठकर मंगल राहु से चतुर्थ दशम का केंद्रीय संबंध बना रहा है। साथ ही मंगल राहु के साथ अंगारक योग बना रहा है। अतः विश्व के नियम नीतियों का बार-बार उल्लंघन होगा।
पूर्वी गोलार्ध में प्राकृतिक आपदा भूकंप, समुद्री तूफान महानगरों में उग्रवाद जन धन हानि का संकेत प्राप्त हो रहा है। विश्व के पश्चिम दक्षिण भूभाग में भूकंप अग्निकांड वाहन दुर्घटना या अन्य दैविक प्रकोप से हानि होगी। विश्व व्यापार में परिवर्तन होकर सुधार होने पर भी अनेक राष्ट्रों में महंगाई बेरोजगारी की समस्या यथावत बनी रहेगी।
ज्योतिषाचार्य के अनुसार वर्ष लग्न का स्वामी मंगल है जो राहु के साथ है। अतः शक्तिशाली देशों में अस्तित्व को लेकर बार-बार संघर्ष होने की स्थिति उत्पन्न होगी। सीमाओं पर सैन्य संघर्ष से जनहानि होना संभव है। विश्व शेयर बाजारों में उतार-चढ़ाव का दौर रहेगा। अंतरराष्ट्रीय व्यापार में उत्साह नहीं दिखाई देगा। विश्व के कुछ देशों में भयंकर रोग से जनजीवन अस्तव्यस्त रहेगा।
मेष राशि का शुक्र बालक और वृद्धों के लिए रोगकारक रहेगा। भारत के समुद्री तटवर्ती भूभाग पर प्राकृतिक प्रकोप से हानि संभव है। लग्नेश मंगल राहु के साथ बैठकर अंगारक योग बना रहा है, अतः संक्रामक रोगों की वृद्धि होगी। वर्ष प्रवेश कुंडली में एवं जगल्लग्न कुंडली में कालसर्प योग बन रहा है यह उत्तम संकेत नहीं है। यह योग संक्रामक रोगों को बढ़ाने वाला है अतः सावधानी पूर्वक यह समय निकालना आवश्यक है।
आर्द्रा प्रवेश कुंडली के अनुसार लग्नेश बुध राहु के साथ स्थित है। सूर्य के आगे शुक्र मंगल के साथ स्थित है। मंगल नीच राशि का है अतः वर्ष में समुद्री तटवर्ती क्षेत्रों में वायु वेग के साथ प्रलयंकारी वर्षा होगी ।मैदानी क्षेत्रों में कहीं-कहीं वर्षा तथा कहीं-कहीं सूखे का असर होगा।