कोरोना संक्रमण के बीच छत्तीसगढ़ में गरमाई पालिटिकल टूरिज्म पर सियासत
रायपुर। कांग्रेस चुनावी राज्यों में परिणाम आने से पहले ही खरीद- फरोख्त की आशंका से सहमी हुई है। यही वजह है कि मतगणना से पहले ही वह अपने प्रत्याशियों को सुरक्षित रखने की कवायद में जुट गई है। इसके तहत असम और बंगाल के प्रत्याशियों को कांग्रेस शासित राज्यों में भेजा जा रहा है।
असम के बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट कांग्रेस की गठबंधन पार्टी के 10 उम्मीदवारों के साथ 22 अन्य नेताओं को करीब सप्ताहभर से यहां रखा गया है। अब बंगाल के भी कुछ कांग्रेस उम्मीदवारों को यहां लाए जाने की चर्चा है। इस पालिटिकल टूरिज्म को लेकर छत्तीसगढ़ की सियासत गरमा गई है।
भाजपा कह रही है कि छत्तीसगढ़ सरकार कांग्रेस के लिए एटीएम हो गई है। इसलिए चुनावी राज्यों के नेता यहां प्रदेश सरकारी खर्च पर मौज-मस्ती और थकान मिटाने आ रहे हैं। विपक्ष के इन आरोपों पर कांग्रेस की तरफ से भी तीखा पलटवार किया जा रहा है। कांग्रेस कह रही है कि भाजपा को खरीद- फरोख्त का मौका नहीं मिलेगा, इसलिए उनके नेता स्तरहीन राजनीति कर रहे हैं।
कांग्रेस के संचार विभाग के प्रदेश अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा कि मध्य प्रदेश में कोरोना फैला था, तब यही भाजपा के लोग कांग्रेस के निर्वाचित विधायकों को बैंगलोर लेकर गए थे। हम तो अपने या अपने गठबंधन के प्रत्याशियों को सुरक्षित रखने की कोशिश कर रहे हैं। जो भाजपा पूरे देशभर में खरीद- फरोख्त की राजनीति कर रही है, उसके सवाल उठाने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है।
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता और विधायक शिवरतन शर्मा ने कहा कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस जो भ्रष्टाचार से कमाई कर रही है, उसमें दिल्ली भी हिस्सा जा रहा है। सरकार के पास उसके लिए पैसे नहीं है, लेकिन दूसरे राज्यों के नेताओं को राजनीतिक सैर कराया जा रहा है।
करीब सप्ताहभर से रुके हैं बीपीएफ के नेता
असम के करीब 32 नेता एक सप्ताह से छत्तीसगढ़ में डेरा डाले हुए हैं। पहले उन्हें रायपुर के पास ही एक होटल में रखा गया था। इसके बाद सभी को बस्तर ले जाया गया। वहां रेस्ट हाउस में उनकी पार्टी की तस्वीरे वायरल करते हुए भाजपा ने हमला शुरू कर दिया। इसके बाद असम के नेताओं को वहां से हटा दिया गया है। कांग्रेस के नेता कह रहे हैं कि बीपीएफ के सभी नेता असम लौट गए हैं। लेकिन भाजपा के नेताओं का दावा है कि सभी को छत्तीसगढ़ में ही किसी गुप्त स्थान पर रखा गया है।