छत्तीसगढ़

जांच की आंच में 800 से अधिक निजी स्कूल, डीईओ ने बनाया जांच दल

रायपुर।  मान्यता के नाम पर खेल करने वाले निजी स्कूलों पर जांच का शिकंजा कसने जा रहा है। मान्यता लेते समय जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) कार्यालय की गठित टीम को सुविधा दिखाकर बाद में अपनी मर्जी से स्कूल चलाने वाले निजी स्कूलों की मान्यता की जांच होगी। रायपुर के करीब 800 निजी स्कूलों की मान्यता के शर्तों की जांच के लिए पहली बार एक साथ इतने स्कूलों की जांच की जा रही रही है।

डीईओ एएन बंजारा ने इसके लिए अलग-अलग कमेटी गठित कर दी है। लाकडाउन के बाद शिक्षकों का दल एक-एक स्कूल की जांच करेगा। बता दें कि शिक्षा विभाग को लगातार शिकायत मिल रही थी कि कुछ निजी स्कूल मान्यता की आड़ में एक से अधिक स्कूल भी चला रहे हैं। सुविधाएं कम और अभिभावकों से फीस अधिक वसूल रहे हैं।

जो शर्तों का पालन नहीं करेगा मान्यता होगी खत्म

बता दें के लिए स्कूल शिक्षा विभाग ने पहली बार मान्यता को लेकर सख्ती दिखाई है। जो निजी स्कूल मापदंडों पर खरा नहीं उतरेगा। उसकी मान्यता खत्म की जाएगी। हालांकि शिक्षा विभाग को इन स्कूलों के विद्यार्थियों को दूसरे स्कूलों में शिफ्ट करना पड़ेगा। फीस पटाने और रेगुलर पढ़ाई करने के बाद भी विद्यार्थियों को स्वाध्यायी का सर्टिफिकेट दे दिया जाएगा।

इन मापदंडों की होती है जांच

शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत जो भी प्रावधान है उसके अनुकूल निजी स्कूलों में स्कूलों में शिक्षक, लाइब्रेरी, भवन, कर्मचारी रूम, खेल मैदान, शौचालय और खासकर विषयवार अलग-अलग लैब हैं या नहीं, इसकी जांच करने के बाद ही मान्यता देने का प्रावधान है। इस बार हाई और हायर सेकंडरी स्कूलों की भी मापदंडों के आधार पर मूल्यांकन होगा। इनमें पेयजल, कक्ष और शिक्षकों की बुनियादी सुविधा के आधार पर जांच की जाएगी।

इन शर्तों का पालन नहीं तो मान्यता खत्म

हाई और हायर सेकंडरी स्कूलों में विद्यार्थियों की सुरक्षा के लिए स्कूलों में सीसीटीवी कैमरा लगाना अनिवार्य है। बुनियादी सुविधाओं को देखें तो हाई और हायर सेकंडरी स्कूलों में प्रति 10 छात्र-छात्राओं के लिए एक पेशाब घर बनाना जरूरी है। इसके अलावा प्रति 10 विद्यार्थी के लिए एक टायलेट होना अनिवार्य है। ऐसे में सिर्फ बालक-बालिका दो टायलेट बनाकर ही काम नहीं चलेगा। हाई स्कूल में 40 छात्र-छात्राओं के लिए एक प्रयोगशाला, हायर सेकंडरी में सभी प्रैक्टिकल के विषयों जैसे जीव विज्ञान, भौतिकी व रसायन के लिए अलग-अलग प्रैक्टिकल कक्ष होना अनिवार्य है।

फीस समिति का निर्धारण भी जरूरी

छत्तीसगढ़ अशासकीय विद्यालय फीस विनियामक अधिनियम 2020 के तहत स्कूलों में नए सत्र के लिए फीस निर्धारित की जानी है। जिन स्कूलों में 31 मार्च तक फीस तय नहीं की गई है, उनकी मान्यता समाप्त कर दी जाएगी। गौरतलब है कि लोक शिक्षण संचालनालय के संचालक जितेंद्र शुक्ला ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देशित किया है कि वे अपने जिले के उन निजी विद्यालयों की जानकारी प्रेषित करें, जिन्होंने अभी तक फीस विनियामक अधिनियम के तहत अपने स्कूल की फीस निर्धारित नहीं की है।

नए फीस अधिनियम के अनुसार अब विद्यालय समिति फीस बढ़ाने की अनुशंसा जिला समिति को करेगी। नियमों का उल्लंघन करने वाले विद्यालय के प्रथम उल्लंघन पर 50 हजार, फीस लेने की राशि का दोगुना, दूसरी गलती पर एक लाख जुर्माना, तीसरे उल्लंघन पर लिए गए फीस का चार गुना जुर्माना लगेगा। विद्यालय के विवादों पर भी समिति निर्णय करेगी।

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