यहां-वहां न थूकें, सलाइवा से भी फैलता है संक्रमण
कोरोना संक्रमण मुंह में मौजूद सलाइवा में भी होता है इसलिए दांत या ओरल ट्रीटमेंट कराने वालों को ज्यादा सावधानी बरतने की आवश्यकता है। दंत रोग विशेषज्ञों को भी इसे लेकर बहुत सतर्क रहना होता है। एक शोध के मुताबिक कोरोना संक्रमित व्यक्ति के सलाइवा में वायरस की उपस्थिति 90 प्रतिशत से अधिक होती है। जब यह लार थूक या मुंह से निकले खून के साथ बाहर आती है तो इसके संपर्क में आने वालों को भी संक्रमित कर सकती है। डेंटिस्ट ऐसे में यही सलाह देते हैं कि संक्रमण के इस दौर में हर व्यक्ति अपने दांतों का बहुत ध्यान रखे ताकि उसे दांत से सबंधित कोई समस्या न हो और सही ढंग से किए गए गरारे संक्रमण को पनपने का मौका ही नहीं देंगे। डेंटिस्ट डा. मनीष वर्मा के अनुसार सलाइवा में वायरस होने की बहुत संभावना होती है।
यूं तो क्लीनिक में आने वालों का शारीरिक तापमान, केस हिस्ट्री और पल्सरेट मापी जाती है। आवश्यक प्रोटोकाल का पालन भी किया जाता है। जहां तक उपचार की बात है तो जिस दिन मरीज जांच कराता है उसके 4-5 दिन बाद वह उपचार किया जाता है जिसमें हमें उसके मुंह के भीतर कोई उपकरण का प्रयोग करना हो। इससे यदि व्यक्ति संक्रमित है तो इतने दिन में पता चल जाता है। वैसे मरीजों को डेंटिस्ट के पास आने से दो दिन पहले से बीटाडिन या क्लोरेक्सेडिन ग्लूकोनेट से गरारे करने चाहिए ताकि संक्रमण काफी हद तक सलाइवा में नहीं रहे।
बाहर से आने पर तुरंत करें गरारे : डेंटिस्ट डा. रचना पालीवाल के अनुसार संक्रमण के इस दौर में दातों व मसूड़ों का ध्यान ज्यादा रखना चाहिए ताकि डाक्टर के पास जाना ही न पड़े। डेंटिस्ट अपने स्तर पर तो इस बात का ध्यान रखता ही है कि क्लीनिक में आने वाले मरीजों से संक्रमण एक से दूसरे को न फैले लेकिन मरीजों को भी अपने स्तर पर ध्यान रखना होगा। संक्रमित के सलाइवा में वायरस होता है और जब वह यहां-वहां थूकता है तो वायरस उसके संपर्क में आने वालों तक पहुंच जाता है इसलिए पहले तो यहां-वहां थूकना बंद करना होगा।