78 दिन बाद भक्तों को मिला धार्मिक स्थलों में प्रवेश, द्वार पर कर रहे सैनिटाइज
रायपुर। राजधानी रायपुर में 78 दिनों के बाद सभी धर्म स्थल शनिवार को सुबह आम भक्तों के लिए खोल दिए गए। कोरोना महामारी के चलते लाकडाउन लगा होने से अभी तक सिर्फ पंडित, पुजारी, मौलवी, ग्रंथी ही धर्म स्थलों में पूजा, आराधना, अरदास, नमाज अता कर रहे थे। अब आम श्रद्धालुओं को भी प्रवेश दिया जा रहा है।
शनिवार को सुबह पुरानी बस्ती स्थित मंदिर में मुख्य द्वार पर सैनिटाइजर मशीन की व्यवस्था की गई। उसमें से होकर भक्त प्रवेश कर रहे हैं। एक बार में पांच भक्तों को ही प्रवेश दिया जा रहा है। इसी तरह स्टेशन रोड गुरुद्वारा में भी द्वार पर स्क्रीनिंग करके श्रद्धालु भीतर जा रहे हैं।
चर्च में 25 प्रतिशत को प्रवेश देने की मांग
छत्तीसगढ़ डायसिस ने सभी चर्च में हाल की क्षमता के अनुरूप 25 प्रतिशत लोगों को प्रवेश देने की मांग की है। बिशप राबर्ट अली एवं पादरी का कहना है कि चर्च में सामूहिक आराधना होती है। केवल पांच-पांच लोगों को प्रवेश देने के आदेश में संशोधन किया जाए। आराधना के लिए हाल में 25 प्रतिशत को बैठने की अनुमति दी जाए।
इन नियमों का करना होगा पालन
- प्रवेश द्वार पर सैनिटाइजर डिस्पेंसर एवं थर्मल स्क्रीनिंग की व्यवस्था
- कोरोना के बिना लक्षण वाले मरीजों को प्रवेश
- मास्क पहनना जरूरी
- कोरोना से बचाव पर जागरूकता के लिए धर्मस्थलों में बैनर, पोस्टर, आडियो, वीडियो क्लिप चलाना
- एक बार में पांच लाेगाें को अनुमति, एक साथ भीड़ नहीं
- वाहन से आने वाले जूता, चप्पल वाहन में ही रखें, अन्य श्रद्धालुओं के लिए अलग से व्यवस्था
- पार्किंग स्थल पर भी शारीरिक दूरी अनिवार्य
- परिसर के बाहर, भीतर स्थित दुकान, कैफेटेरिया, स्टाल में पर्याप्त दूरी का पालन
- चूने से गोल घेरा ताकि दूरी रहे
- कतार में खड़े रहने वालों के बीच 6 फीट दूरी
- हाथ, पैरों को साबुन-पानी से धोना होगा
- बैठने की व्यवस्था में शारीरिक दूरी अनिवार्य
- एयर कंडीशनिंग का तापमान 25 से 22 शर्तों के साथ ढाई महीने बाद खुलेंगे धर्मस्थल
- सभा, भजन मंडली नहीं, प्रसाद भी नहीं बंटेगा
- मूर्ति, धार्मिक ग्रंथों को छूने की अनुमति नहीं
- बड़ी सभाएं, मंडली के कार्यक्रम नहीं
- रिकार्ड किए भक्ति संगीत बजा सकते हैं
- सार्वजनिक चटाई, दरी का उपयोग नहीं कर सकेंगे, स्वयं की चटाई ला सकेंगे
- परिसर के भीतर मिलते-जुलते समय भी शारीरिक दूरी का पालन
- पूजा स्थल के भीतर प्रसाद वितरण, जल का छिड़काव नहीं
- नियमित साफ-सफाई अनिवार्य
- फर्श को कई बार साफ करना होगा
- उपयोग किए मास्क, दास्ताने के निपटान की व्यवस्था
- वैक्सीनेशन करने प्रेरित करें