अखिल भारतीय आदिवासी महासभा कोण्डागांव ने पुनः सौंपा ज्ञापन…
27 अगस्त को सौंपे गए ज्ञापन पर वन विभाग नहीं कर रहा था कार्यवाही
कोण्डागांव । पत्रिका लुक
जिले के सभी वन परिक्षेत्रों में चल रहे हरे-भरे पेड़ों की कटाई पर रोक लगाने के सम्बन्ध में 27 अगस्त को सौंपे गए ज्ञापन पर वन विभाग द्वारा उचित कार्यवाही नहीं किए जाने से आक्रोशित अखिल भारतीय आदिवासी महासभा कोण्डागांव के पदाधिकारियों के द्वारा कलेक्टर कोण्डागांव को 19 सितम्बर को पुनः ज्ञापन सौंपते हुए वन क्षेत्र के हरे भरे पेड़-पौधों को काटने वालों पर कार्यवाही करने की मांग किया गया।
ज्ञात हो कि कोण्डागांव जिले के दक्षिण कोण्डागांव वन मण्डल सहित उत्तर वन मण्डल क्षेत्र के सभी वन परिक्षेत्रों में चल रहे पेड़ों की कटाई पर रोक लगाने हेतु अखिल भारतीय आदिवासी महासभा कोण्डागांव द्वारा 27 अगस्त को कलेक्टर कोण्डागांव को ज्ञापन सौंपे जाने के साथ ही सौंपे गए ज्ञापन पर तत्काल कार्यवाही करने की मांग की गई थी। जिसपर सम्बन्धित कोण्डागांव जिला क्षेत्र के वन विभाग के सम्बन्धित अधिकारी-कर्मचारियों के द्वारा जमीनी स्तर पर उचित कार्यवाही नहीं किया जाता देखकर, अ.भा.आदि.महासभा के जिला अध्यक्ष मुकेष मण्डांवी के नेतृत्व में कलेक्टर कार्यालय में पहुंचकर जयप्रकाष नेताम, बिसम्बर मरकाम, लक्ष्मण महाविर, रामचंद मरकाम, रिंकु, सरादु नेताम, महाविर मरकाम, प्रदीप मौर्य, छबी नेताम, रामसिंह सोढ़ी आदि सहित अन्य सदस्यों ने 19 सितम्बर को पुनः कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा और आग्रह किया कि उनके क्षरा सौंपे जा रहे ज्ञापन में लगाए गए आरोपों की जांच हो और वन क्षेत्र में खड़े हरे-भरे पेड़ पौधों को काटने वालों पर कड़ी कार्यवाही किया जाए।
ज्ञापन में लेख किया गया है कि बस्तर संभाग को साल वृक्षों का द्वीप कहा जाता है तथा कोण्डागांव जिला भी साल वृक्षों से आच्छादित है। कोण्डागांव जिले के वन क्षेत्र को प्रशासनिक सुविधा की दृष्टि से दक्षिण वन मण्डल कोण्डागांव तथा उत्तर वन मण्डल केषकाल के रुप में राज्य सरकार द्वारा विभाजित किया गया है। वर्ष 2005 के पूर्व से वन क्षेत्र में निवासरत रहकर वन भूमि पर कृषि कार्य करने वाले भूमिहीनों को केन्द्र सरकार द्वारा वनाधिकार प्रपत्र प्रदाय किए जाने के उद्देश्य से अनुसूचित जन जाति और अन्य परम्परागत वन निवासी (वन अधिकार की मान्यता) अधिनियम 2005 का कानुन तैयार किया गया। उक्त कानुन के परिपालन में वन क्षेत्र में निवासरत भूमिहीनों को अनुसूचित जनजाति और अन्य परम्परागत वन निवासी (वन अधिकार की मान्यता) अधिनियम 2005 के तहत जिनका 2005 के पूर्व से वन भूमि पर कब्जा था वनाधिकार प्रपत्र दिए जाने की कार्यवाही प्रारंभ की गई। स्थानीय प्रशासन द्वारा प्रभावशील व्यक्तियों को जो पुर्व से कई हेक्टेयर राजस्व भूमि के स्वामी हैं, उन्हें भी वनाधिकार प्रपत्र प्रदाय किया गया तथा वास्तविक हकदार कई भूमिहीनों को आज दिनांक तक वनाधिकार प्रपत्र प्रदाय नहीं किया जा सका है। वहीं प्रभावशील व्यक्ति अपने प्रभाव का उपयोग करते हुए वास्तविक हकदार भूमिहीनों को वन भूमि से बेदखल कर जबरन वन भूमि पर कब्जा करने का लगातार प्रयास कर रहे हैं, जिस वजह से वास्तविक रुप से वन भूमि का वनाधिकार प्रपत्र प्राप्त करने के हकदार व्यक्ति वनाधिकार प्रपत्र प्राप्त करने से वचिंत हैं।
वहीं जिले के दक्षिण वन मण्डल कोण्डागांव के माकड़ी, मुलमुला, अमरावती, दहिकोंगा कोण्डागांव तथा मर्दापाल सहित उत्तर वन मण्डल केषकाल के वन परिक्षेत्रों में भी प्रभावशील लोगों द्वारा वनाधिकार प्रपत्र प्राप्त करने के लालच में आज भी हरे-भरे पेड़-पौधों को काटकर वन भूमि पर अतिक्रमण किया जा रहा है, जिससे जिले में वन क्षेत्र सिमटता जा रहा है। वन विभाग अवैध अतिक्रमण रोकने में पूर्ण रुप से असफल है। मुकेष एवं जयप्रकाष ने कहा कि सौंपे गए ज्ञापन में उल्लेखित तथ्यों को गम्भीरतापुर्वक संज्ञान में लेकर हरे-भरे पेड़-पौधों की अवैध कटाई करने वालों पर तत्काल कार्यवाही नहीं होने तथा पात्र भूमिहीनों को वनाधिकार प्रपत्र समय सीमा में नहीं दिए जाने पर अखिल भारतीय आदिवासी महासभा कोण्डागांव, कोण्डागांव एवं केषकाल वन मण्डल कार्यालयों का घेराव करने जैसा आंदोलन करने को बाध्य होंगे, जिसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी षासन-प्रषासन की होगी।
सोत्र-cpiprokgn