छत्तीसगढ़

ठेकेदार को विभागीय संरक्षण मिलने का लगा आरोप, जांच शुरू हुई नहीं ठेकेदार को करा लिया भुगतान


एक बार फिर कछुआ जीत जाएगा, सरकारी जांच से
कोण्डागांव। पत्रिका लुक
जिला पंचायत कोंडागांव  द्वारा  सीसी सड़क निर्माण में अनियमितता की जांच एवं भुगतान रोके जाने का आदेश देने के बाद जांच शुरू भी नहीं हो सका उल्टे विभागीय संरक्षण मिलने से ठेकेदार ने अधिकारियों से मिलीभगत कर सड़क निर्माण की पूरी राशि निकालने का ग्रामीणों ने आरोप लगाया। लोगों का यह भी कहना है  ठेकेदार ने राशि निकालने भूतपूर्व सरपंच का फर्जी तरीके से हस्ताक्षर भी करा लिया। वही इस पुरे मामले पर रवि साव मुख्य कार्यपालन अधिकारी बड़े राजपुर जानकारी देने से इंनकार कर रहे ।
क्या है मामला
मामला जिले के बडेराजपुर जनपद पंचायत अंतर्गत ग्राम पंचायत बांसकोट का है। जहां कुछ महीने पूर्व सीसी सड़क का निर्माण हुआ था, निर्माण के बाद ही सड़क उखड़ने लगी थी गुणवत्ता हीन निर्माण से आक्रोशित ग्रामीणों ने सड़क निर्माण में गंभीर अनियमितता एवं लापरवाही की शिकायत उच्च अधिकारियों से की  थी, तत्पश्चात जांच अधिकारियों ने लिखित आदेश दिया था कि जब तक जांच पूर्ण नहीं होगी तब तक भुगतान रोकी जाए।
सीपीआई ने की थी शिकायत
जांच कछुआ चाल से चल रहा था , इसी बीच भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की ओर से मामले की कलेक्टर से शिकायत सौंपी गई,  जिसका समाचार पत्रों में प्रकाशन भी हुआ। तत्पश्चात प्रशासन ने जांच टीम गठित कर पूरे मामले की पड़ताल का आदेश दे दिया।
सीपीआई ने कहा कछुआ की चाल से धमी गति जांच
सीपीआई ने आरोप लगया है कि सरकारी जांच कछुआ गति से भी धमी गति से जांच चल रहा है ऐसा लगता है कि सरकारी तंत्र ठेकेदार को संरक्षण प्राप्त है तभी तो जांच से पूर्व ही ठेकेदार उक्त गुणवत्तापूर्णहीन सीसी सड़क पर लीपापोती किया जा रहा है और विभागीय अधिकारियों को कानों कान खबर तक नहीं। ऐसा लगता है कि ठेकेदार पर किसी बड़े नेता का हाथ होगा शायद इस लिए विभागीय अधिकारियों के द्वारा जांचके पुर ही ठेकेदार को पूरी राशि भी जारी कर दिया गया हैं सूत्र बता रहे हैं।
ग्रामीणों ने लगया आरोप
ग्रामीणों के मुताबिक इसके पूर्व भी प्रशासनिक अधिकारियों की टीम के द्वारा जांच किया गया था , जांच टीम ने सड़क निर्माण में अनियमितता पाया  था। जांच टीम ने पाया कि जनपद सदस्य के पति ने इसे जनपद निधि का बताकर पंचायत से प्रस्ताव करा कर ठेके पर ले लिया था। जांच में यह भी पाया कि ठेकेदार ने  भवन से निकाले गए जर्जर छड़ों का उपयोग किया था साथ ही सड़क में कई जगहों पर छड डाला ही नहीं गया था। इसके अलावा खराब सीमेंट को डालकर सड़क निर्माण किया गया था जिसके चलते निर्माण किए गए सीसी सड़क माह भर बाद ही उखड़ना शुरू हो गया जिससे ग्रामीण आक्रोशित  हुए और इसके बाद ग्रामीण एवं कुछ पंचायत प्रतिनिधियों ने मिलकर कलेक्टर कोंडागांव से जनदर्शन में जाकर शिकायत किया गया। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि ठेकेदार ने अपनी कारगुजारियों को छुपाने एवं कार्यवाही से बचने के लिए अपने राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल किया तथा सत्ताधारी पार्टी के नेताओं के दबाव में कार्यवाही को प्रभावित किया , इसके पश्चात भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी में भी मामले की गंभीरता को देखते हुए ग्रामीणों का साथ दिया एवं प्रशासनिक अधिकारियों से शिकायत की पर ठेकेदार के प्रभाव को देखकर अधिकारी जांच के लिए टस से मस नहीं हो रहे थे। 
बार बार शिकायत पर नही कोई कार्रवाही
आखिरकार ग्रामीणों द्वारा बार-बार शिकायत करने एवं आंदोलन की चेतावनी देने के पश्चात प्रशासनिक अमला महज जांच टीम गठित कर औपचारिकता निभा रहा,  जांच टीम गठन होने के माह भर बाद भी जांच शुरू तक नहीं हो पाई नही कोई अधिकारी गांव में पहुंच सका इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि ग्रामीण की शिकायत पर प्रशासन कितना गंभीर है।
क्या कहते हैं जिला पंचायत सीईओ
उक्त पूरे मामले में प्रेम प्रकाश शर्मा ,मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत कोंडागांव ने बताया कि जांच टीम में क्या हुआ है ,मैं नहीं बता सकता क्योंकि मैं जांच टीम में नहीं हूं, लीपापोती हुई है तो सामने आ जाएगी।
खैर देखना होगा कि जांच कब तक
बरहाल देखना होगा कि आखिर उक्त स्तरहीन सीसी सड़क का मामले में जांच कब तक हो पाती है यह तो आने वाला समय ही बताएगा।

Patrika Look

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