अस्थमा रोगियों की लापरवाही कोरोना में हो सकती है जानलेवा, बरतें सावधानी
रायपुर। कोरोना महामारी के इस दौर में अस्थमा से पीड़ित लोगों को यह जानना बेहद जरूरी है कि इनकी इस बीमारी के प्रति लापरवाही जानलेवा भी साबित हो सकती है। एम्स के पल्मोनोलाजिस्ट और चिकित्सा विशेषज्ञ डाक्टर रंगनाथ टी गंगा ने बताया कि प्रदेश में जनसंख्या की करीब 15 फीसद से अधिक आबादी अस्थमा बीमारी से पीड़ित है।
सबसे अधिक युवाओं में होने वाली इस बीमारी के हर साल पांच फीसद से अधिक नए मरीज सामने आते हैं। अस्थमा अनुवांशिक होने के साथ ही धूल, धुआं, केमिकल समेत कई तरह के प्रदूषण की वजह से होता है। अस्थमा को जड़ से खत्म करने का कोई इलाज नहीं है।
इसलिए जागरूकता के साथ ही पीड़ित को नियमित जांच और दवाएं लेना जरूरी है। दवाएं या इलाज न लेने वाले अस्थमा के मरीजों को कोरोना होने पर यह जानलेवा भी साबित होता है। ऐसे में मरीजों को इसका ध्यान रखने की जरूरत है।
अस्थमा का अटैक जानलेवा
आम्बेडकर अस्पताल के पल्मोनोलाजिस्ट (छाती रोग विशेषज्ञ) डा. रोशन सिंह राठौर ने बताया कि अस्थमा जैसी बीमारी को लोग साधारण समझकर हल्के में ले लेते हैं। लेकिन दवाएं न लेने, बीमारी व लापरवाही की स्थिति में अस्थमा अटैक आता है। सही इलाज न मिलने या इलाज में देरी से मौत की आशंका 100 फीसद तक होती है। जबकि नियमित इलाज व दवा लेने वाले मरीजों में दो फीसद तक मौत संभव होती है।
जानिए अस्थमा के बारे में
अस्थमा में सांस की नलियों में जलन, सिकुड़न या सूजन की स्थिति और उनमें ज़्यादा बलगम बनता है। जिससे सांस लेने में कठिनाई होती है। इसके लक्षण में बार-बार खांसी आना, सांस लेते समय सीटी की आवाज आना, छाती में जकड़न तथा भारीपन, सांस फूलना, खांसी के समय कठिनाई होना व कफ न निकल पाना, बेचैनी होना, नाड़ी गति का बढ़ना जैसी समस्याएं आती है।
इनकी सलाह पर करें अमल
‘विभाग की ओपीडी में माह में करीब 2400 मरीज आते हैं। इसमें 350 मरीज अस्थमा के होते हैं। रोगियों को जिन चीजों से एलर्जी है उससे दूरी और नियमित इलाज लेना जरूरी होता है। ताकि बीमारी गंभीर न हो।’