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रक्तदान सबसे बड़ा मानवीय कार्य, इससे बड़ा कोई परोपकार नहीं : राज्यपाल

राज्यपाल पंडित जवाहर लाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय द्वारा विश्व रक्तदाता दिवस के अवसर पर आयोजित वेबिनार में हुई शामिल

रायपुर। रक्तदान सबसे बड़ा मानवीय कार्य है। इससे बड़ा कोई पुण्य नहीं है। इससे किसी व्यक्ति की जान बचाई जा सकती है। अत: सभी से आग्रह है कि रक्तदान अवश्य करें। निश्चय ही रक्तदान से बड़ा कोई परोपकार नहीं हो सकता है। आपके थोड़े से योगदान से किसी व्यक्ति की जान बचायी जा सकती है। रक्त दान, महा दान है। मरीजों को जीवन दान देने में डॉक्टरों के साथ ही रक्तदाताओं की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। रक्तदान करने के इस पुनीत कार्य में सहभागी बनने के लिए लोगों को स्वयं आगे आना चाहिए, ताकि समय पर जरूरतमंद मरीजों को आसानी से खून उपलब्ध हो सके। यह बात राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने आज पंडित जवाहर लाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय रायपुर के पैथॉलॉजी विभाग द्वारा विश्व रक्तदाता दिवस के अवसर पर ”ब्लड डोनर मोटिवेशनÓÓ विषय पर आयोजित वेबिनार को संबोधित करते हुए कही।
राज्यपाल ने कहा कि जब मैं रोट्रेट क्लब में थी तो हमारी टीम द्वारा रक्तदान के लिए शिविर लगाए जाते थे और लोगों को रक्तदान के लिए प्रोत्साहित भी करते थे। इस वेबिनार में विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपतिगण, प्रोफेसर और छात्र-छात्राएं जुड़े हुए हैं। उनसे मेरा आग्रह है कि वे रक्तदाताओं की एक सूची बनाएं। ग्रामीण क्षेत्रों में जहां पर ब्लड बैंक की सुविधा नहीं होती है वहां पर बीमारी, दुर्घटना और आपातकालीन स्थिति में रक्तदान की सुविधा प्रदान करें, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की जान बचाई जा सके।
सु उइके ने कहा कि रक्त जीवन का आधार है। शरीर का पूरा तंत्र इसी पर आधारित रहता है। रक्त की एक-एक बूंद अमूल्य होती है। सबसे बड़ी बात है कि तमाम वैज्ञानिक अनुसंधानों और खोज के बाद भी ना तो इसका विकल्प खोजा जा सका है और ना ही यह संभव हुआ है कि इसका निर्माण किसी प्रयोगशाला में किया जा सके। यदि किसी दुर्घटना में खून अधिक बह जाता है या शरीर में किसी कारणवश रक्त की कमी आ जाती है तो मनुष्य का जीवन ही खतरे में पड़ जाता है।
राज्यपाल ने कहा कि लोगों में यह भ्रांति व्याप्त है कि ”रक्तदान से कमजोरी आती हैÓÓ। इस भ्रांति को दूर करने के लिए हर संभव प्रयास किया जाना चाहिए। रक्तदान करने से नये रक्त की कणिकाएं बनती हैं, जिनकी ऑक्सीजन वाहक क्षमता ज्यादा होती है, जिससे हमारी शारीरिक श्रमशक्ति बढ़ती है। रक्तदान के बाद शरीर में किसी भी प्रकार की कोई कमजोरी नहीं आती बल्कि रक्तदान करने वाले लोगों में हृदयरोग की संभावना काफी कम होती है। लोगों को चाहिए कि अपने महत्वपूर्ण दिनों को यादगार बनाने के लिए उस दिन रक्तदान अवश्य करें। कोरोना काल में संक्रमण के डर से रक्तदान में कमी आई है। साथ ही टीकाकरण के बाद कुछ निर्देशों के कारण भी रक्तदान नहीं कर रहे हैं। ऐसे में खून की कमी महसूस हो रही है। मैं आग्रह करती हूं कि लोग आगे आकर रक्तदान करें। यह महादान है।
राज्यपाल ने कहा कि यदि जनसामान्य स्वेच्छापूर्वक रक्तदान करेंगे तो देश में कभी खून की कमी नहीं रहेगी तथा कई लोगों के जीवन की रक्षा की जा सकेगी। रक्तदान को प्रोत्साहन देने के लिए सामाजिक संस्थाओं और शैक्षणिक संस्थाओं को भी आगे आना होगा और रक्तदान के प्रति जनसामान्य में जागरूकता लानी होगी।
कार्यक्रम में रेडक्रॉस सोसायटी छत्तीसगढ़ के सचिव सोनमणि बोरा ने रेडक्रॉस सोसायटी की भूमिका और रक्तदान के महत्व पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर पंडित जवाहर लाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय रायपुर के पैथालॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अरविंद नेरल, चिकित्सा महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. विष्णु दत्त, विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपतिगण उपस्थित थे।

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