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BRI project के जरिए चला था भारत को घेरने, अपने ही बुने जाल में फंसा चीन, जानें पूरा मामला

बीजिंग। कोरोना वायरस के चलते चीन की महत्‍वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (Belt and Road initiative- BRI) ) परियोजना पर ग्रहण लग गया है। इसके साथ ही चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग की एक नई विश्व व्यवस्था स्थापित करने का सपना भी टूटने के कगार पर पहुंच गया है। दरअसल, इस योजना के जरिए ही चीन एक तीर से दो शिकार करने की फ‍िराक में हैं। चीनी राष्‍ट्रपति चिनफ‍िंग बीआरआइ योजना के तहत एक नई विश्‍व व्‍यवस्‍था को स्‍थापित करने के साथ भारत की आर्थिक और सामरिक रूप से घेराबंदी करने की जुगत में हैं। यही कारण है कि भारत शुरू से ही इस योजना का विरोधी रहा है। भारत ने कई दफा अंतरराष्‍ट्रीय मंच पर इसका विरोध भी किया है। आइए, जानते हैं क्‍या है चीन की बीआरआइ परियोजना ? इस परियोजना में कितने देशों की है हिस्‍सेदारी ? भारत का क्‍यों रहा है इस परियोजना से विरोध ?

भारत के सामरिक और रणनीतिक हितों को जबरदस्‍त चुनौती देगा चीन

  • प्रो. हर्ष पंत का कहना है कि भारत, चीन की बीआरआइ परियोजना का भागीदार नहीं है। चीन की मंशा को देखते हुए भारत ने शुरू से ही इस परियोजना विरोध किया है। भारत ने अपनी संप्रभुता आर क्षेत्रीय अखंडता का सवाल उठाया है। दरअसल, इस परियोजना का एक हिस्‍सा पाकिस्‍तान के कब्‍जे वाले भारतीय क्षेत्र से होकर गुजरता है। चीन इस परियोजना के जरिए भारत को सामरिक रूप से घेरने का प्रयास कर रहा है। यही कारण रहा है कि अंतराष्‍ट्रीय मंचों पर भी भारत ने बीआरआइ परियोजना का विरोध किया है। यदि इस परियोजना पर ब्रेक लगता  है तो भारत के प्रति चीन की स्ट्रिंग ऑफ पर्ल की नीति को भी गहर धक्‍का लगेगा।
  • इसके अलावा भी भारत के समक्ष एक और बड़ी चिंता है। दरअसल, चीन ने इस परियोजना के तहत भारत के पड़ोसी मुल्‍कों श्रीलंका, पाकिस्‍तान, बांग्‍लादेश और नेपाल को भारी कर्ज दे रखा है। अगर यह योजना अधर में लटकी तो चीन अपने कुचक्र में इन मुल्‍कों को फंसा सकता है। यदि ये मुल्‍क ऋण चुकाने में विफल रहे तो चीन इन देशों को अपना उपनिवेश बना सकता है। इनको ब्‍लैकमेल कर सकता है। अगर ऐसा हुआ तो यह सीधे तौर पर भारत के सामरिक और रणनीतिक हितों को जबरदस्‍त चुनौती देगा।

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