CDS जनरल बिपिन रावत ने कहा, हिंद महासागर में चीन लगातार कर रहा है मौजूदगी बढ़ाने की कोशिश
एजेंसी,नई दिल्ली प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ने शुक्रवार को कहा कि हिंद महासागर में अभी क्षेत्र से इतर देशों के बलों के 120 से अधिक जंगी जहाज तैनात हैं तथा क्षेत्र में बढ़ती वैश्विक रुचि के मद्देनजर आने वाले समय में वहां सामरिक अड्डों के लिए होड़ और अधिक बढ़ने वाली है। जनरल रावत ने वैश्विक सुरक्षा वार्ता मंच को संबोधित करते हुए इस बात का जिक्र किया कि भारत के लिए यह जरूरी है कि वह क्षेत्र में अपनी रणनीतिक स्थिति का अधिकतम लाभ उठाने के लिए समान विचार वाले देशों के साथ मजबूत द्विपक्षीय, त्रिपक्षीय और बहुपक्षीय समझौतों पर ध्यान केंद्रित करे।
हिंद महासागर और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य सक्रियता के बीच जनरल रावत की यह टिप्पणी आई है। इन क्षेत्रों में चीन की बढ़ती सैन्य सक्रियता ने वैश्विक चिंताएं और आशंकाएं बढ़ा दी हैं। बड़ी वैश्विक शक्ति बनने की भारत की आकांक्षा का जिक्र करते हुए जनरल रावत ने कहा कि देश को ”मुश्किलें पैदा करने वाले” पड़ोसियों और क्षेत्र में बढ़ती होड़ के बावजूद इस लक्ष्य को हासिल करना होगा।
जनरल रावत ने क्षेत्र के बाहर के देशों द्वारा जंगी जहाज तैनात किए जाने का जिक्र करते हुए कहा, ”अभी हिंद महासागर क्षेत्र में विभिन्न अभियानों में मदद के लिए क्षेत्र से इतर देशों के बलों के 120 से अधिक जंगी जहाज तैनात हैं। क्षेत्र में अब तक कुल मिलाकर शांति बनी हुई है।” हिंद महासागर, भारतीय नौसेना के लिए काफी मायने रखता है क्योंकि इस क्षेत्र में भारत के रणनीतिक हित हैं और चीन लगातार अपनी मौजूदगी बढ़ाने का प्रयास कर रहा है।
सीडीएस ने कहा, ”हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भू-रणनीतिक प्रतिस्पर्धा के साथ-साथ हम हिंद महासागर क्षेत्र में भी सामरिक स्थानों एवं अड्डों के लिए होड़ मचते देख रहे हैं, जो आने वाले समय में और तेज होने जा रही है।” चीन ने जिबूती में एक बड़ा सैन्य अड्डा बनाया है और पाकिस्तान में ग्वादर बंदरगाह बना रहा है, ताकि उसे भारत के खिलाफ सामरिक क्षेत्र में बढ़त हासिल हो सके।
जनरल रावत ने कहा कि हाल के वर्षों में चीन की अर्थव्यवस्था और सेना का आकार बढ़ने के साथ-साथ क्षेत्र में उसका प्रभाव भी बढ़ा है, जिसने काफी ध्यान आकर्षित किया है। उन्होंने कहा कि जापान-ऑस्ट्रेलिया-भारत जैसे समूहों और दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्रों के संगठन (आसियान) के साथ भारत को अपने संबंधों को मजबूत बनाने पर जोर देना होगा, ताकि वह अपने रणनीतिक हितों को पूरा कर सके।
जनरल रावत ने कहा, ”क्षेत्र में ज्यादातर देश बेहतर समुद्री संपर्क के जरिए आर्थिक लाभांश को प्राप्त करना और नीली (समुद्री) अर्थव्यवस्था का दोहन करना चाह रहे हैं, जिसके लिए बुनियादी ढांचे का विकास जरूरी है।” उन्होंने कहा कि सामान्य रूप से हिंद-प्रशांत क्षेत्र और विशेष रूप से हिंद महासागर क्षेत्र आवागमन एवं विश्व व्यापार के लिए महत्वपूर्ण बना रहेगा। उन्होंने कहा, ”एक उभरती क्षेत्रीय शक्ति के तौर पर हम जिन चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, उसके लिए हमें ठोस दीर्घकालीन योजना की जरूरत है ताकि हमारे रक्षा बलों का क्षमता निर्माण और क्षमता विकास किया जा सके।”