रायपुर। कोरोना महामारी के दौर में कई बच्चे अनाथ हो गए, माता-पिता दोनों की मृत्यु हो गई। उनके समक्ष जीवनयापन का संकट खड़ा हो गया। ऐसे में छत्तीसगढ़ राज्य बाल संरक्षण आयोग ने राज्य भर की विविध समितियों को अनाथ बच्चों को खोज निकालने की जिम्मेदारी सौंपी। प्रदेश भर में 25 अनाथ बच्चों का मामला सीडब्ल्यूसी (चाइल्ड वेलफेयर सोसाइटी) के समक्ष आया।
अब ऐसे बच्चों का पालन-पोषण बाल संरक्षण आयोग की निगरानी में किया जाएगा। आयोग ने बच्चों की संपूर्ण जानकारी एकत्रित करके आठ बच्चों के पालन-पोषण की जिम्मेदारी बाल कल्याण समिति को सौंपी है। 17 बच्चों को उनके रिश्तेदारों को सौंप दिया गया है, उन बच्चों को सभी सरकारी सुविधाएं मिलेंगी।
शिक्षा, चिकित्सा, भोजन सुविधा
छत्तीसगढ़ राज्य बाल संरक्षण आयोग के सचिव प्रतीक खरे ने बताया कि कोरोना महामारी के दौर में कई माता-पिता की मृत्यु हुई। ऐसे में बाल कल्याण समिति ने गांव-गांव, शहर-शहर में सर्वेक्षण किया तो पाया कि किसी बच्चे की मां, किसी के पिता नहीं रहे। उनमें कुछ बच्चों के चाचा, ताऊ सक्षम थे, जिन्होंने बच्चों की जिम्मेदारी ले ली। इनके अलावा करीब 25 बच्चे ऐसे पाए गए, जिनके माता-पिता दोनों की ही मृत्यु हो गई और वे अनाथ हो गए।
इन बच्चों को प्रारंभिक तौर पर बाल कल्याण समिति ने अपने पास रखा। बाद में खोजबीन करने पर उनके दूर के रिश्तेदारों के बारे में पता चला। बच्चे भी उनके साथ रहने को राजी हो गए। ऐसे 17 बच्चों को रिश्तेदारों को सौंपा गया है, लेकिन उनके लालन-पालन, शिक्षा, चिकित्सा आदि में कोई कमी न रहने पाए, इसलिए बाल कल्याण समिति हर सप्ताह, हर महीने निगरानी रखेगी। उन बच्चों को प्रशासन द्वारा शुरू की गई महतारी दुलारी योजना एवं किशोर न्याय अधिनियम के तहत सभी जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।
प्रदेश भर में किया जा रहा सर्वे
बाल संरक्षण विभाग के अधिकारी बताते हैं कि पिछले सवा साल से अब तक कितने बच्चों के सिर से उनके माता-पिता का साया उठ गया। इस संबंध में सर्वे कार्य चलता रहेगा। जैसे-जैसे अनाथ बच्चों की जानकारी मिलेगी, उनके जीवनयापन की व्यवस्था और भविष्य सुरक्षित रहे, इसके सभी जरूरी उपाय किए जाएंगे।