रायपुर. छत्तीसगढ़ में अब तक केवल जीवित रिश्तेदारों के आर्गन लेकर मरीजों में ट्रांसप्लांट करने की अनुमति थी, लेकिन अब ब्रेन डेड लोगों के आर्गन लेकर भी ट्रांसप्लांट किए जा सकें। छत्तीसगढ़ सरकार ने मंगलवार को सरकार ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अंग प्रत्यारोपण अधिनियम को मंजूरी दे दी। यानी केंद्र ने आर्गन ट्रांसप्लांट के जो नियम बनाए हैं, उन्हीं नियमों से यहां भी अब केवल जीवित रिश्तेदारों ही नहीं बल्कि ब्रेन डेड मरीजों के किडनी, हार्ट, लंग्स, बोन मैरो और कार्निया का ट्रांसप्लांट किया जा सकेगा।
राज्य सरकार से केंद्र के अंग प्रत्यपर्ण नियमों को मंजूरी मिलने के बाद अब किसी भी अस्पताल में भर्ती ब्रेन डेड मरीजों की किडनी, लंग्स, लीवर, बोनमैरो, कार्निया और हार्ट उनके रिश्तेदारों की अनुमति से दूसरे जरूरतमंद मरीजों को देकर उसकी जिंदगी बचायी जा सकेगी। शेष|पेज 7
स्वास्थ्य विभाग के अफसरों के अनुसार छत्तीसगढ़ में अभी केवल जीवित रिश्तेदार ही अपने अंग देकर मरीज की जिंदगी बचा सकते हैं। इस नियम के तहत ज्यादातर जरूरतमंद मरीजों को आर्गन नहीं मिल पाते, क्योंकि मरीजों के रिश्तेदार अपने शरीद का अंग देने से घबराते हैं। उन्हें ये भय रहता है कि शरीर का भीतरी अंग दान करने से उनका जीवन संकट में पड़ सकता है। हालांकि राज्य के पांच निजी अस्पतालों में अंग प्रत्यपर्ण की सुविधा है। अभी यहां केवल मरीज के जीवित रिश्तेदार ही अपने अंग देते हैं।
जल्द ही होंगे आर्गन ट्रांसप्लांट: डॉ राजिमवाले
छत्तीसगढ़ मेडिकल काउंसिल के रजिस्टार डा. एस राजिमवाले का कहना है कि राज्य की आर्गन ट्रांसप्लांट कमेटी अब नियम बनाएगी। इसके तहत ये तय किया जाएगा कि किस तरह के मरीजों को आर्गन ट्रांसप्लांट की सुविधा मिलेगी। इसका सिस्टम क्या होगा? जिन मरीजों को आर्गन ट्रांसप्लांट की जरूरत होगी, उनका रजिस्टर कहां बनेगा?
उनकी वेटिंग लिस्ट कैसे बनेगी? वेटिंग में भी ये कैसे देखा जाएगा कि किस मरीज को तुरंत नए आर्गन की जरूरत है? इसकी कमेटी में कौन कौन होंगे? इस तरह आर्गन ट्रांसप्लांट करने से संबंधित सभी तरह की प्रक्रिया के नियम बनेंगे।