छत्तीसगढ़

निगम ने चार साल से नहीं बनाया डिमांड, लेखा-जोखा तक नहीं

रायपुर।  रायपुर नगर निगम का पिछले चार साल से डिमांड नहीं बना है। निगम के अधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं है। इस कारण नगर निगम बिना डिमांड के ही राजस्व की वसूली कर अपनी पीठ थपथपा रहा है। डिमांड न बनने के कारण किस करदाता से कितना राजस्व वसूल करना है। इसका कोई लेखा-जोखा निगम के पास नहीं है। राजस्व विभाग के कर्मचारी पुराने डिमांड के हिसाब से राजस्व की वसूली कर रहे हैं।

इससे निगम को हर साल राजस्व का नुकसान हो रहा है। राजस्व का नुकसान होने से शहर का विकास कार्य भी प्रभावित हो रहा है।

ज्ञात हो कि रायपुर नगर निगम के 70 वार्डों में करीब तीन लाख घर हैं। रायपुर नगर निगम को पिछले साल 117 करोड़ रुपये वसूली का लक्ष्य मिला था। इस बार 131 करोड़ रुपये राजस्व वसूली का लक्ष्य मिला है। नगर निगम के अधिकारी बिना डिमांड बनाए पुराने डिमांड के हिसाब से ही वसूली कर रही है। निगम को 31 मई तक राजस्व वसूली करना है। वर्तमान में निगम 124 करोड़ वसूल कर चुकी है। बाकी के सात करोड़ रुपये निगम को वसूल करने हैं। वर्तमान में निगम ने बकाया राशि की वसूली शुरू कर दी है, क्योंकि निगम को अपना लक्ष्य पूरा करना है।

जानिए क्या है डिमांड

निगम सूत्रों की माने तो नगर निगम रायपुर का पिछले कई सालों से डिमांड तैयार नहीं है। निगम के कर्मचारी बिना डिमांड के राजस्व की वसूली कर रहे हैं। निगम के कर्मचारी पहले करदाताओं के पास राजस्व की वसूली करने जाते थे तो उनके पास बकाएदारों की पूरी कुंडली रहती थी, जिससे उनको पता रहता था कि किस करदाता का कितना राजस्व बकाया है।

निगम के कर्मचारी ऐसे कर रहे वसूली

निगम के राजस्व विभाग के कर्मचारी वसूली करने के दौरान करदाता से पिछले साल की रसीद मांगते हैं। यदि करदाता के पास रसीद नहीं है। करदाता के पास रसीद नहीं होने पर कर्मचारियों को पता नहीं चलता है कि उससे कितना और कितने सालों का बकाया राजस्व वसूल करना है। यदि करदाता ने कई सालों से राजस्व जमा नहीं किया है तो करदाता और कर्मचारी आपसी सहमति से पैसा पटा देता है। इससे निगम को राजस्व का नुकसान हो रहा है।

निगम के जोन बढ़ गए, लेकिन नहीं मिल रहा लाभ

निगम के अधिकारी ने बताया कि रायपुर नगर निगम में इससे पहले सात जोन था, लेकिन वर्तमान में यह बढ़कर दस जोन हो गया है। निगम ने सात जोनों से कुछ वार्डों को कम कर इन तीनों जोनों में मिला दिया है। इससे बहुत से बकाएदारों का वार्ड भी बदल गया है, लेकिन उसके बाद भी निगम ने डिमांड नहीं बनाया है।

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