छत्तीसगढ़राजनीति

तीनों कानूनों का किया विरोध में सीपीआई ने मनाया काला दिवस

कोंडागांव। अखिल भारतीय किसान सभा, सी.पी.आई.एवं नौजवान सभा कोण्डागांव से जुडे जिले भर के किसानों के द्वारा 26 मई को काला दिवस मनाया जाकर किसान विरोधी तीनों कानूनों के खिलाफ काली पट्टी, काला झण्डा, काला कपड़ा पहनकर अपना विरोध प्रदर्शन किया गया और केंद्र सरकार से उक्त तीनों किसान विरोधी कानूनों को वापस लेने की मांग किया गया। ज्ञात हो कि केंद्र सरकार के द्वारा कृषि व किसानों से सम्बन्धित बनाए गए तीनों बिलों/कानूनों का शुरुआत से ही किसानों के द्वारा न केवल विरोध किया जा रहा है, बल्कि निरंतर आंदोलन भी किया जा रहा है। यही नहीं किसानों द्वारा किए जा रहे उक्त विरोध प्रदर्शन व आंदोलन में शामिल कई किसान अब तक शहीद भी हो चुके हैं, लेकिन केंद्र सरकार की कानों में जूं तक नहीं रेंग रही है। यही कारण है कि किसानों के द्वारा 26 मई को देशव्यापी काला दिवस मनाए जाने का निर्णय लिया गया और उनके उक्त निर्णय का समर्थन देश के कई राजनितिक दल भी कर रहे हैं, जिनमें सीपीआई भी शामिल है। उक्त क्रम में ही 26 मई 2021 को कोण्डागांव जिले में सी.पी.आई.कोण्डागांव जिला परिशद् के जिला सचिव व राज्य परिशद् सदस्य तिलक पाण्डे के निर्देषानुसार एवं

राज्य परिशद् सदस्य शैलेश शुक्ला के मार्गदर्शन में अखिल भारतीय किसान सभा, सी.पी.आई. कोण्डागांव जिला परिशद् एवं नौजवान सभा से जुडे बिरज नाग, बिसम्बर मरकाम, दिनेश मरकाम, जयप्रकाश नेताम के नेतृत्व में जिले के लगभग सभी गांवों में रैनूराम नेताम, जोगीलाल नाग, महाजन मरकाम, घसियाराम मरकाम, तुलसीराम मरकाम, नंदूलाल नेताम, कृष्णा मरकाम, नंदकिशोर नेताम, सरादूराम सोरी, बिकराय नेताम, मुकेश मंडावी, कुमार मंडावी, संतलाल यादव, बजरंग मरकाम, अर्जुन मरकाम, परशुराम कोर्राम, कश्मीरलाल मंडावी, बलराम मंडावी, बुद्धूराम मरकाम, रामचरण बघेल, सुकलाल सोरी, महावीर मरकाम, रामसुंदर मरकाम, सुकलाल सोरी, बंसीराम सोरी, सुखालू सोरी, बीजूराम मरकाम, मंगूराम नेताम, रेनूराम नेताम, तुलसीराम मरकाम, घसिया मरकाम, श्याम पोयाम, भारत वट्टी, रामकुमार नेताम, धनीराम, विश्वनाथ, फगनू पोयाम, महाजन मरकाम, बलवीर मरकाम आदि सहित गांव-गांव में कम्युनिश्ट किसानों द्वारा किसान विरोधी तीनों कानूनों का विरोध काली पट्टी, काला झण्ड़ा के साथ ही काला कपड़ा पहनकर किया। ज्ञात हो कि केन्द्र सरकार द्वारा पारित कृशि संबंधी तीनों अध्यादेशों को किसान हित में तत्काल वापस लिए जाने हेतु प्रेषित राष्ट्रपति, महामहिम राज्यपाल के नाम ज्ञापन भी प्रेषित किया जा चुका है, 26 जनवरी 2021 को तिरंगा यात्रा निकाला जा चका है। जिला सचिव तिलक पाण्डे ने विरोध प्रदर्शन के दौरान कहा कि भारत एक कृषि प्रधान देश है और वहीं केन्द्र की भाजपा सरकार द्वारा किसान हितों के खिलाफ तीन अध्यादेश पारित कर देश के किसानों को गुलाम बनाकर निजीकरण का रास्ता अपनाया जा रहा है। केन्द्र सरकार का ‘एक राष्ट्र एक बाजार अध्यादेष‘ किसानों के हित में नहीं है। इससे मण्डी का ढांचा खत्म होगा, जो किसानों और छोटे एवं मंझोले व्यापारियों दोनों के लिए लाभप्रद नहीं है।

किसानों को उनकी उपज का न्यूनतम समर्थन मुल्य नहीं मिल सकेगा। केन्द्र सरकार ने इस बात की कोई गारण्टी नहीं दी है कि कम्पनियों द्वारा किसानों के उपज की खरीद समर्थन मुल्य पर किया जाएगा। केन्द्र सरकार ने आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 में संशोधन कर आलु, प्याज, दलहन, तिलहन व तेल के भण्डारण पर लगी रोक को हटा लिया है। देष के 85 प्रतिषत किसानों के पास लम्बे समय तक भण्डारण की व्यवस्था नहीं है, यानि यह कानुन बड़ी कम्पनियों द्वारा कृषि उत्पादों की कालाबाजारी के लिये लाया गया है, ये कम्पनियां अपने बड़े-बड़े गोदामों में कृषि उत्पादों का भण्डारण करेंगे एवं बाद में उंचे दामों पर ग्राहकों को बेचेंगे। तीसरा अध्यादेश सरकार द्वारा काॅन्ट्रेक्ट फार्मिंग के विशय में लागु किया गया है, जिसके तहत काॅन्ट्रेक्ट फार्मिंग को बढ़ावा दिया जाएगा, जिसमें बड़ी-बड़ी कम्पनियां खेती करेंगी एवं किसान उसमें सिर्फ मजदूरी करेंगे। इस अध्यादेश के तहत किसान अपने खेत में सिर्फ मजदूर बनकर रह जाएंगे। इसलिए भाकपा, अ.भा.किसान सभा, अ.भा.नौजवान सभा देश भर में किसानों के हित में एम.एस.पी.(न्युनतम समर्थन मूल्य) गारण्टी कानुन लागू किया जाए तथा एम.एस.पी. के नीचे किसानों से फसल क्रय करने वाले व्यापारियों के खिलाफ प्रथम सूचना लेखबद्ध किया जाए, किसानों के हित में स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागु किया जाए, किसान हित में तीनों कृषि अध्यादेशों को तत्काल वापस लिया जाए।

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