रायपुर। हम जितने तेजी से टेक्नोलॉजी की दुनिया में कदम बढ़ा रहे हैं, उससे कहीं ज्यादा रफ्तार से साइबर क्राइम बढ़ रहा है. देश समेत अब छत्तीसगढ़ में भी साइबर ठग अपने क्राइम का जाल मजबूती से बिछा लिए हैं. शातिर ठग अलग-अलग तरीकों से हर रोज लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं. ऐसे ही एक साइबर ठगी के मामले में रायपुर पुलिस ने चौकाने वाला खुलासा किया है. साइबर ठगी के पैसों को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर ही मनी लॉन्ड्रिंग ( काला धन को व्हाइट ) की तर्ज पर इन्वस्टमेंट करने वाले बड़े गिरोह का पुलिस ने पर्दाफाश किया है. ये गिरोह पूरे बाजार में लोगों को आसानी से चकमा दे रहे थे, लेकिन पुलिस ने साइबर क्रिमिनल्स के गेम का द इन्ड कर दिया.
साइबर ठग खातों को कर रहे खाली
दरअसल, रायपुर एसएसपी अजय यादव के निर्देश पर गठित की गई विशेष टीम ने साइबर ठगी के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है. इसमें पुलिस ने ऑनलाइन फ्रॉड कर मनीलॉन्ड्रिंग करने वालों का खुलासा किया है. पुलिस ने शातिर ठगों की प्लानिंग को डिकोड कर गिरोह के 4 लोगों को गिरफ्तार किया है. ये पूरी कार्रवाई रायपुर पुलिस के विशेष टीम ने की है. जिसमें एएसपी तारकेश्वर पटेल, आजाद चौक CSP अंकिता शर्मा के थाना प्रभारी योगिता खार्पडे और गौतम गावड़े, गिरीश तिवारी और उप निरीक्षक नेतामके मुताबिक साइबर अपराधी व्यापारियों को भी अपने खेल में शामिल कर लेते हैं, लेकिन व्यापारियों को इस खेल की भनक तक नहीं लगती. इसी तरह वारदात को अंजाम देते हैं.
क्या-क्या हुआ जब्त ?
इस पूरे कार्रवाई में पुलिस ने अलग-अलग कंपनी के लगभग 100 मोबाइल फोन्स, 150 सिम कार्ड और करीब 30 क्रेडिट कार्ड समेत कई इलेक्ट्रॉनिक्स सामान जब्त किए हैं. साथ ही 4 साइबर ठगों को गिरफ्तार किया गया है. रायपुर पुलिस ने कई मोबाइल दुकानों में दबिश देकर बड़ी संख्या में मोबाइल फोन्स की रिकवरी की है. पुलिस ने सबसे डीडी नगर थाना क्षेत्र से गिरफ्तार किया है. इसके बाद मामले का खुलासा हुआ.
कैसे करते हैं ठगी ?
शातिर ठग सबसे पहले फोन कॉल से भोले-भाले लोगों को अपने झांसे में लेते हैं. इसके बाद उनको तरह-तरह के लुभावने स्कीम बताकर, उनसे निजी जानकारी ले लेते हैं, जैसे कि खाता संख्या, ATM नंबर, पेटीएम, फोन-पे आधार कार्ड और क्रेडिट कार्ड समेत कई जानकारियां ले लेते हैं. इसके बाद ठगी की वारदात को अंजाम देते हैं.
ठगी की रकम कैसे करते हैं इन्वेस्ट ?
पुलिस के मुताबिक शातिर यहीं से अपने बिजनेस का असली खेल शुरू करते हैं. ठगी के पैसे से भारी संख्या में ऑनलाइन बेबसाइट से मोबाइल फोन्स, टीवी और समेत अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स गैजेट खरीदते हैं. इसके बाद उन मोबाइलों फोन्स और अन्य सामानों को एजेंट के माध्यम से व्यापारियों को कम पैसे में बेच देते हैं. इससे व्यापारी भी आसानी से सामान को खरीद लेते हैं. साथ ही व्यापारी भी उन सामानों को दूसरों को बेच देते हैं. इससे जो पैसे होते हैं, वह ब्लैक से व्हाइट में बदल जाता है.