नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस ने दिल्ली हाईकोर्ट में कहा कि जेएनयू की छात्राओं नताशा नरवाल और देवांगना कलिता की जमानत अर्जी का विरोध किया। दिल्ली पुलिस ने कहा कि ये दोनों एक ऐसी बड़ी साजिश का हिस्सा थीं, जिससे देश की एकता, अखंडता और समरसता को खतरा हो सकता था। नताशा और देवांगना को पिछले साल उत्तरी दिल्ली में हुए सांप्रदायिक दंगों के संबंध में गिरफ्तार किया गया था।
पुलिस ने मंगलवार को यह दलील नताशा और देवांगना की ओर से जमानत को लेकर दायर याचिकाओं के जवाब में दी। इन याचिकाओं में एक अदालत के उस आदेश को चुनौती दी गई थी जिसमें जेएनयू छात्राओं की ओर से दायर जमानत अर्जी को खारिज कर दिया गया था। उक्त आरोपियों पर दंगों से जुड़े मामले में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत एफआईआर दर्ज है।
जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस अनूप जयराम भंभानी की बेंच ने मामले की अगली सुनवाई शुक्रवार को करने का आदेश दिया। दिल्ली पुलिस की ओर से पेश हुए विशेष लोक अभियोजक अमित महाजन ने याचिकाओं का विरोध किया और दावा किया कि नताशा और देवांगना को दंगों के दौरान किए जा रहे क्रियाकलाप और उसके परिणामों की पूरी जानकारी थी।
उन्होंने कहा कि आरोपियों के विरुद्ध मामला न केवल चश्मदीदों के बयान पर आधारित है और इन साजिशों को कैमरे पर रिकॉर्ड नहीं किया जा सकता और यह परिस्थिति जन्य साक्ष्यों से साबित होता है। उन्होंने कहा कि अपीलकर्ता उस बड़ी साजिश का हिस्सा थे जिससे देश की एकता अखंडता और समरसता को खतरा पैदा हो सकता था। यह जरूरी नहीं है कि वह हर कृत्य में शामिल रही हों। उन्हें पूरे क्रियाकलाप की जानकारी थी, इसलिए उन पर यूएपीए की धारा 15 के तहत मामला बनता है। इसके साथ ही महाजन ने आरोपियों और अन्य के बीच हुई वॉट्सऐप चैट भी पढ़कर सुनाई।
दिल्ली दंगे में 53 लोगों की हुई थी मौत
गौरतलब है कि नागरिकता कानून के समर्थकों और विरोधियों के बीच संघर्ष के बाद पिछले साल 24 फरवरी को उत्तर-पूर्वी दिल्ली के जाफराबाद, मौजपुर, बाबरपुर, घोंडा, चांदबाग, शिव विहार, भजनपुरा, यमुना विहार इलाकों में साम्प्रदायिक दंगे भड़क गए थे। इस हिंसा में कम से कम 53 लोगों की मौत हो गई थी और 200 से अधिक लोग घायल हो गए थे। साथ ही सरकारी और निजी संपत्तियों को भी काफी नुकसान पहुंचा था। उग्र भीड़ ने कुछ स्कूलों सहित मकानों, दुकानों, वाहनों, एक पेट्रोल पम्प को फूंक दिया था और स्थानीय लोगों तथा पुलिस कर्मियों पर पथराव किया।
इस दौरान राजस्थान के सीकर के रहने वाले दिल्ली पुलिस के हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल की 24 फरवरी 2020 को गोकलपुरी में हुई हिंसा के दौरान गोली लगने से मौत हो गई थी और डीसीपी और एसीपी सहित कई पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल गए थे। साथ ही आईबी अफसर अंकित शर्मा की हत्या करने के बाद उनकी लाश नाले में फेंक दी गई थी।