अनाथ बच्चों की संवरी किस्मत, अमेरिका और न्यूजीलैंड गए आठ बच्चे
बाल संरक्षण विभाग अधिकारी नवनीत स्वर्णकार बताते हैं कि पिछले छह साल में आठ बच्चों को अमेरिका, न्यूजीलैंड के अभिभावकों को गोद दिया गया।कोरोना काल में साल 2020 में 14 और साल 2021 में अब तक पांच बच्चों को गोद दिया जा चुका है। विविध बाल केंद्रों में लगभग 35 बच्चों को अभी भी नए माता-पिता का इंतजार है। इनमें से कोरोना काल में अनाथ हुए चार बच्चे शासकीय बाल गृह माना (एसओएस) में हैं। शेष अन्य केंद्रों में हैं, जिन्हें जरूरी सुविधाएं दी जा रही हैं।
राजधानी से अन्य राज्यों में गए बच्चे
राजधानी से गोद दिए जाने वाले बच्चे अब पश्चिम बंगाल, उत्तरप्रदेश, बिहार, झारखंड, महाराष्ट्र, हरियाणा, केरल, तेलंगाना, कर्नाटक राज्यों के अलावा मध्यप्रदेश के बालाघाट, जबलपुर, देवास, ग्वालियर, सिवनी और छत्तीसगढ़ के रायपुर, तिल्दा, भिलाई, दुर्ग, कोरिया, बिलासपुर, रायगढ़, राजनांदगांव, जांजगीर, चांपा के धनाढ्य परिवाराें में हैं।
बालिकाओं को लेने में रुचि
छह साल में 86 गोद दिए गए बच्चों में से करीब 50 बालिकाएं हैं। अभिभावकों की रुचि बालिकाओं को गोद लेने में ज्यादा है। बाल विकास विभाग में गोद लेने की प्रक्रिया की जानकारी लेने प्रतिदिन 20 से ज्यादा लोग पूछताछ करते हैं। ऑनलाइन प्रक्रिया शुरू होने और ज्यादा लोग कतार में होने से अभिभावकों को निराशा होती है।
कहते हैं कि किस्मत का भरोसा नहीं, कब किसकी किस्मत चमक जाए और अभावों में पलने वाले को भी सारी सुख-सुविधा मिल जाए। लोकलाज के भय से जिन बच्चों को मां ने छोड़ दिया अथवा जिनके माता-पिता दुनिया छोड़ गए और बच्चे अनाथ हो गए। ऐसे अनाथ बच्चों का भाग्य ऐसा चमका कि कई बच्चे धनाढ्य परिवारों में रह रहे हैं। उन बच्चों को गोद लेकर कई माता-पिता अपने बच्चों जैसा लाड़ दुलार करके अच्छी शिक्षा दे रहे हैं।\
पिछले छह सालों में महिला एवं बाल विकास विभाग के माध्यम से 86 बच्चों को गोद दिया जा चुका है। चूंकि गोद देने की प्रक्रिया अब ऑनलाइन हो चुकी है इसलिए देशभर से बच्चाें को गोद लेने अभिभावक कतार में हैं।