मरने के बाद भी मुश्किलें कम नहीं…
रायपुर। कोरोना काल में मरने के बाद भी मुश्किलें कम नहीं हो रही है। कोरोना संक्रमितों के शव इतने बढ़ गए कि सामान्य मौत वाले शवों को मुक्तिधाम में जगह नहीं मिल रही है। ऐसे शवों को मुक्तिधाम के बाहर नदी किनारे जलाया जा रहा है। मुक्तिधाम के भीतर भी चबूतरे से बाहर नीचे शवों को जलाया जा रहा है।
दुर्ग जिले में कोरोना का संक्रमण बढ़ने के साथ ही इससे होने वाली मौतों की संख्या भी बढ़ गई है। कोरोना से मृत लोगों के शव को दुर्ग के शिवनाथ नदी मुक्तिधाम में जलाया जाता है। लेकिन पिछले कुछ दिनों से मौत का आंकड़ा बढ़ने के बाद मुक्तिधाम के भीतर अंतिम संस्कार के लिए भी जगह नहीं मिल रही है। शिवनाथ मुक्तिधाम में शव जलाने के लिए छह चबतूरा बना हुआ है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार बुधवार को शिवनाथ नदी मुक्तिधाम में अंतिम संस्कार के लिए कुल 17 शव लाए गए थे। जिसमें 13 शव कोरोना संक्रमितों के थे। वहीं, चार शव सामान्य मौत के थे। मुक्तिधाम के भीतर बने छह चबतूरों के अलावा परिसर में खाली जगह पर पर भी शवों का अंतिम संस्कार किया गया। गुरुवार को मुक्तिधाम के भीतर जगह खाली नजर नहीं आ रही थी।
सामान्य मौत वाली एक शव को नदी किनारे जलाया जा रहा था। वहीं, दोपहर 12 बजे तक मुक्तिधाम में कोरोना संक्रमण से मृत हुए पांच लोगों के शव के अंतिम संस्कार के लिए लाए जाने की सूचना मुक्तिधाम के कर्मियों को दे दी गई थी। कर्मियों का कहना था कि कोरोना संक्रमण से मृत हुए लोगों के शव को मुक्तिधाम के भीतर ही जलाया जाता है। परिसर में जगह बनाकर ऐसे शवों का अंतिम संस्कार किया जाएगा। सामान्य मौत वाली शवों का अंतिम संस्कार मुक्तिधाम के बाहर ही करना पड़ेगा।
740 तक पहुंच चुका है मृतकों का आंकड़ा
जिले में मार्च 2020 से लेकर 31 मार्च 2021 तक कोरोना से होने वाली मौतों का आंकड़ा 740 तक पहुंच गया है। जिले मेंं पिछले कुछ दिनों से संक्रमण बढ़ने के साथ ही होने वाली मौतों की संख्या भी बढ़ गई है। 31 मार्च को सात लोगों की मौत हुई थी। 30 मार्च को पांच, 29 मार्च को दो, 28 मार्च को तीन, 27 मार्च को दो तथा 25 व 26 मार्च को चार-चार लोगों की मौत हुई थी।