कोंडागांव जिला में न्याय पाना टेढ़ी खीर, आम और खास को देखकर ही होता हैं न्याय
कोंडागांव पत्रिका लुक। शैलेश शुक्ला सामाजिक कार्यकर्ता व प्रेस प्रतिनिधि की कलम से ।
कोंडागांव जिला में व्यक्ति को न्याय पाना मुश्किलों भरा है ऐसा इस लिए कहना पड़ रहा है । सावधान ये है कोण्डागांव जिला और यहां न्याय पाने की डगर बेहद कठिन है, न्याय पाने से वंचितजनों को अपनी परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए आत्म हत्या करने की अनुमति तक मांगने को मजबूर होना पड़ता है, इसके बावजूद भी पीड़ित को न तो आत्म हत्या करने की अनुमति मिलती है और न ही समय सीमा में न्याय ही मिल पाता है। वैसे तो अब तक कोण्डागांव जिले ऐसे कई मामले आ चुके हैं, जिसमें कई वर्शों तक न्याय पाने के लिए कार्यालयों के चक्कर काटने बाद भी न्याय से वंचित होकर मानसिक रुप से अत्यधिक परेषान हो चुके आवेदकों के द्वारा जिले के प्रथम अधिकारी यानि कलेक्टर के समक्ष आत्म हत्या कर लेने की अनुमति देने हेतु आवेदन दिया जा चुका है, जिनमें से किसे न्याय मिला और किसे न्याय नहीं मिल सका इस बात की ठीक-ठीक जानकारी तो व्यथित आवेदक ही बता सकते हैं। लेकिन 10 मार्च को जिस व्यथित आवेदक से प्रेस प्रतिनिधि की मुलाकात हुई उसकी व्यथा यह सिद्ध करने के लिए काफी है कि कोण्डागांव जिले में न्याय की डगर बेहद कठिन और कांटों भरी है। जिले के तहसील फरसगांव के ग्राम कोसागांव निवासी आवेदक रामकुमार नेताम ने बताया कि उसके पिता स्व.नानजात नेताम द्वारा वर्श 2008-10 में वनाधिकार पट्टा हेतु प्रस्तुत आवेदन के एवज में उनके परिवार द्वारा काबिज पूरे जमीन का पट्टा नहीं मिले होने पर उसने अपने पिता की मौत हो जाने के बाद अपने परिवार द्वारा काबिज पूरे जमीन का पट्टा दिलाने हेतु वर्श 2016-17 से लेकर 2020 तक निरंतर आवेदन देकर अधिकारियों से निवेदन करता रहा, किसी भी तरह से कोई सुनवाई नहीं होने से मानसिक रुप से अत्यधिक परेषान व्यथित हो चुकने के बाद उसके द्वारा 3 फरवरी 2021 को कलेक्टर के समक्ष परिवार सहित 13 फरवरी 2021 को आत्म हत्या करने की अनुमति प्रदान करने हेतु एक हस्तलिखित आवेदन प्रस्तुत किया गया था। उक्त आवेदन को गम्भीरतापूर्वक लेते हुए उससे किसी भी तरह से कोई पत्राचार नहीं करने पर वह 13 फरवरी 2021 को सपरिवार जिला कार्यालय में आत्म हत्या करने के लिए आया था, जिस पर सिटी कोतवाली कोण्डागांव की पुलिस द्वारा उसे, उसकी पत्नी एवं बच्चे को पकड़कर उनके विरुद्ध धारा 107, 116 की कार्यवाही करने के साथ ही अनुविभागीय अधिकारी राजस्व कोण्डागांव के समक्ष प्रस्तुत किया था। जहां पंचनामा तैयार किया गया और अनुविभागीय अधिकारी राजस्व कोण्डागांव द्वारा मुझे लिखित में आष्वासन दिया गया था, उसकी समस्या का समाधान किया जाएगा। लेकिन आज 1 वर्ष बित चुका है, उसकी समस्या का समाधान नहीं हो सका है। उक्त समस्या की ओर ध्यानाकर्शित करने के लिए ही उसने फिर से एक पत्र देकर उचित मार्गदर्शन करने का आग्रह किया है, ताकि वह अपनी समस्या से मुक्ति पाने हेतु जल्द ही कोई ठोस निर्णय ले सके।
रामकुमार ही नहीं बल्कि जिला मुख्यालय कोण्डागांव निवासी लीलाराम रावलानी सहित अन्य कई लोगों के द्वारा समस्या के समाधान हेतु आत्म हत्या कर लेने देने हेतु सिधे कलेक्टर को लिखित में आवेदन दिया जा चुका है। जिसके कारण ही यह कहा जा सका है, कि कोण्डागांव जिले में न्याय पाना आसान नहीं है।
क्या कहते हैं शैलेश शुक्ला
वे बताते हैं कि कोंडागांव जिले में न्याय की आस लगाए कई व्यक्ति लाइन में खड़े हैं, पर न्याय मिल पाना मुश्किलों भारी राह है , वे चाहे किसी के लिए जीवन जीने का साधन हो, या किसी को अपने परिवार के लिए छत के लिए बस एक के बाद एक नित नए आवेदन देने के बाद भी सरकारी ऑफिसों का चक्कर लगा-लगा कर व्यक्ति या तो मर जाता है या न्याय की उम्मीद की आस में चक्कर पर चक्कर काटते रहता हैं। शैलेश शुक्ला आगे कहते हैं कि न्याय आम नागरिकों के लिए काफी टेढ़ी खीर हैं ऐसा इस लिए कह रहा हु क्योंकि पुलिस थाना कोंडागांव में भी पुलिस के द्वारा सरकारी अधिकारी व कर्मचारियों पर अपराध दर्ज नहीं किया जाता है । पुलिस का कहना है कि विभागीय मामला हैं, हो सकता है कि अधिकारी के द्वारा गलती से या त्रुटिवश हो गया होगा इसलिए इसमें अपराध कायम नहीं होता है। शैलेश शुक्ला सामाजिक कार्यकर्ता का कहना है कि कानून सरकारी अधिकारी ,कर्मचारियों व आम और खास में अंतर देखकर ही अपराध दर्ज हो पाता हैं।