छत्तीसगढ़

किश्तों में खुल रहे हाट बाजार

कोंडागांव। लाकडाउन के बाद हाट बाजार खोले जाने की सशर्त प्रशासनिक अनुमति के पश्चात बाजारों में धीरे-धीरे रौनक लौट रही है। छोटे व्यवसायियों को लंबे समय के बाद पुन: रोजगार का अवसर मिला है जिससे उनके चेहरों पर चमक दिख रही है। प्रशासन ने भले ही शर्तों के साथ बाजार खोलने की अनुमति दे दी है, इलाके की कई ग्राम पंचायतों ने बाजार की अनुमति देने से इंकार किया है। हालांकि किश्तों में बाजार खुलने से तीन महीने से परेशान छोटे व्यवसायियों को रोजगार मिला है और दैनिक जरूरतों का सामान मिलने से ग्रामीणों को राहत भी मिली है।

ज्ञात हो कि कोरोना के दूसरी लहर में जिले में 20 अप्रैल से लाकडाउन शुरू हुआ था जो 26 अप्रैल तक होना था किंतु संक्रमण धीरे-धीरे बढ़ता गया जिसके चलते लाकडाउन की अवधि भी बढ़ती चली गई। लाकडाउन में साप्ताहिक हाट बाजारों को भी बंद कर दिया गया था।

ग्रामीण क्षेत्र की बड़ी आबादी हाट बाजारों पर निर्भर करती है। ग्रामीणों की रोजमर्रा की जरुरतें यहीं से पूरी होती है। अनेक लोगों का रोजगार हाट बाजारों से जुड़ा है। लाकडाउन की स्थिति में लोगों का रोजगार टूट गया तथा पैसे के लिए मोहताज हो गए। छोटे व्यापारी तथा रोज कमाकर खाने वालों पर इसका व्यापक असर हुआ।

साप्ताहिक हाट बाजारों पर निर्भर करने वाले साग सब्जी से लेकर अनाज, किराना, मिर्च मसाले के व्यवसाय से जुड़े लोगों की कमर टूट चुकी थी। लाकडाउन के पहले ही पंचायतों ने बाजार बंद करने का फरमान जारी कर दिया था। बाद मे जिला प्रशासन ने लाकडाउन अवधि में बाजार बंद करने का आदेश दिया था। अलग-अलग क्षेत्र में दो से तीन माह तक हाट बाजार बंद रहे।

स्थानीय निकाय की अनुमति अनिवार्य

कलेक्टर पुष्पेंद्र कुमार मीणा ने व्यापारी संघ की लगातार मांगों को ध्यान में रखते हुए साप्ताहिक हाट बाजारों को सशर्त खोलने की अनुमति दी है। बाजार खोलने के लिए संबंधित ग्राम पंचायत, नगर पंचायत एवं नगर पालिका से अनुमति आवश्यक है। बाजार में कोविड-19 के गाइडलाइन का पालन करना भी जरूरी है। साप्ताहिक हाट बाजारों में अत्यधिक भीड़ न करते हुए मास्क लगाकर व शारीरिक दूरी का पालन करते हुए बाजार खोला जा सकता है। इस अनुमति से लोगों ने राहत की सांस ली है तथा धीरे-धीरे बाजार खुलने लगे हैं। हालांकि अभी बाजारों में भीड़ दिखाई नहीं दे रही है।

पंचायतों में ज्यादा सतर्कता

हाट बाजारों को खोलने के लिए प्रशासन की अनुमति तो मिली है किन्तु पंचायत अभी तक बाजारों के लिए अनुमति देने के मूड मे नहीं हैं। ग्राम पंचायत गमरी की सरपंच रेखा हेमंत मरकाम ने बताया कि गमरी का साप्ताहिक बाजार खोलना उचित नहीं लग रहा है क्योंकि यहां जिले के अलावा अन्य जिले एवं ओडिशा के लोग भी बड़ी संख्या में पहुंचते हैं। ग्रामीणों में अभी भी कोविड-19 के संक्रमण का डर बना हुआ है जिससे काफी कम संख्या में लोग बाजार पहुंच रहे हैं। व्यापारी भी कम ही संख्या में बाजार आ रहे हैं।

धंधा अभी मंदा है

मारंगपुरी निवासी संगीता निषाद ने बताया कि तीन माह बाद मंगलवार को उसने बाजार में अपना पसरा लगाया है। वह चना मुर्रा, भजिया- बड़ा लेकर बाजार पहुंचती है तथा बाजार में ही बड़ा भजिया बनाकर बेचती है। लाकडाउन से पूर्व सप्ताह में वह सात साप्ताहिक बाजार में अपना व्यवसाय करती थी। किसी बाजार में वह 4 से 5 हजार तक बेचती थी तो कहीं छोटे बाजारों में एक से 2 हजार तक की बिक्री होती थी।

तीन महीने बाद जब बाजार खुला तो बिक्री मंदा है। सब्जी व्यवसाई चंपा बाई ने बताया कि साप्ताहिक बाजार बंद होने से सब्जी का बाजार पूरी तरह चरमरा गया था क्योंकि ऐसी स्थिति में बाहर से सब्जी भी नहीं ला सकते थे न ही बाजार में सब्जी बेच सकते थे। तीन महीने बेरोजगारी झेलना पड़ी।

Patrika Look

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *