स्व. ललित सुरजन पर संपादित किताब का लोकार्पण, पत्रकारिता जगत में उनके योगदान को हमेशा सराहा जाएगा
रायपुर। देशबंधु अखबार के प्रधान संपादक और मालिक ललित सुरजन एक सम्मानित कवि व लेखक थे. देशबंधु देश का एक ख्यातिप्राप्त अखबार है. जिसमें स्वर्गीय ललित सुरजन की काफी लंबे समय तक संपादकीय पारी रही है. वह ऐसे व्यक्ति हैं जिनकी भूमिका देश में पत्रकारिता की दशा और दिशा बदलने में रही है. ललित सुरजन जाने माने संपादक होने के साथ-साथ लेखक, साहित्यकार और चिंतक रहे हैं. वह साहित्य, शिक्षा, पर्यावरण, सांप्रदायिक सद्भाव और विश्व शांति से सम्बंधित मुद्दों पर हमेशा बेबाक राय रखते थे. 22 जुलाई को उनके जन्मदिवस के अवसर पर उनके संस्मरण में लिखी गई किताब ‘कहाँ वो चले गए’ का ऑनलाइन विमोचन जानेमाने ई-बुक के प्रकाशक ‘नॉटनल’ द्वारा किया गया.
किताब में विभिन्न लेखकों ने अपने लेख और संस्मरण साझा किए हैं, किताब में ललित सुरजन के जीवन से संबंधित संस्मरणों के साथ साथ उनके द्वारा किये गए जनहित कार्यो, पर्यावरण संरक्षण आदि को लेखों के माध्यम से संजोया गया है. किताब का संपादन गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय, बिलासपुर के पत्रकारिता विभाग की सहायक प्राध्यापक डॉ. अमिता और आई.टी.एस. कॉलेज, गरियाबंद के सहायक प्राध्यापक डॉ. संतोष बघेल द्वारा किया गया है. किताब नॉटनल के आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध है, जिसे वहां से पढ़ा जा सकता है. इस पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में किताब के लेखकगण, संपादक, प्रकाशक आदि के साथ ही बढ़ी संख्या में विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े लोगों ने सहभागिता की.
इस दौरान ललित सुरजन के विचारों और उनके जीवन काल मे किये गए अनेक कार्यो पर चर्चा की गई. इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में जानेमाने पत्रकार, लेख़क, साहित्यकार, शिक्षाविद और जनसंपर्क विभाग, मध्यप्रदेश, भोपाल के चेयरमैन, माध्यम और रोजगार पत्रिका के संपादक पुष्पेंद्रपाल सिंह रहे. उन्होंने अपने उद्बोधन में ललित सुरजन के साथ जुड़े अपने संस्मरणों को साझा किया और बताया कि ललित देशबंधु अखबार के मालिक थे, लेकिन वे अखबार में मालिक से कहीं ज्यादा संपादक के रूप में सक्रिय रहते थे, हमेशा अपने रिपोर्टरों को नई चीजों को सीखने और अच्छी पत्रकारिता के लिए प्रेरित करते थे.
साथ ही अखबार को अंतरराष्ट्रीय स्तर का बनाये रखने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर के अखबार भी पढ़ते थे. उनमें हो रहे बदलावों को भी आत्मसात करते थे, मुख्य अतिथि ने एक संस्मरण को याद करते हुए कहा कि ललित संपादक के रूप में जमीन से जुड़कर कार्य करते थे और पाठकों के विचारों का सम्मान करते थे. डॉ अमिता ने भी किताब को संपादित करने के पीछे के कारण को बताते हुए कहा कि ललित सुरजन के विचारों, उनकी कार्यशैली और व्यक्तित्व से प्रभावित होने और पत्रकारिता जगत में उनके मूल्यों की आवश्यकता को देखते हुए, उन्होंने यह किताब सम्पादित की.