होम आइसोलेट हैं तो जरूर पालन करें ये नई गाइडलाइंस, जानिए सबकुछ
नई दिल्ली । देश में कोरोना संक्रमित मरीजों को आंकड़ा लगातार बढ़ते जा रहा है और अस्पतालों में मरीजों को जगह नहीं मिल रही है। ऐसे में कई मरीज ऐसे भी होते हैं, जिन्हें शुरुआती स्तर पर अस्पताल की आवश्यकता नहीं होती है। ऐसी परिस्थिति में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने होम आइसोलेशन में रहने वाले हल्के संक्रमण या बिना लक्षण वाले मरीजों के लिए कुछ नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की नई गाइडलाइन में कहा गया है कि होम आइसोलेशन में 10 दिनों तक रहने और लगातार 3 दिनों तक बुखार नहीं आने की स्थिति में मरीज होम आइसोलेशन से बाहर आ सकता है और उसके बाद फिर से कोरोना टेस्टिंग भी नहीं कराना चाहिए।
सेल्फ आइसोलेशन की व्यवस्था घर पर हो
नई गाइडलाइन के मुताबिक स्वास्थ्य अधिकारी ही मरीज की स्थिति को देखकर ये तय करेंगे कि उसमें हल्के लक्षण हैं या बगैर लक्षण वाला कोरोना केस है। ऐसे मामले में मरीज के सेल्फ आइसोलेशन की उनके घर पर व्यवस्था होनी चाहिए। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि मरीज का आक्सीजन सैचुरेशन भी 94 फीसद से ज्यादा होना चाहिए और जिस कमरे में आइसोलेट हुए हैं, उसमें वेंटिलेशन की भी बेहतर व्यवस्था हो।
बुखार पर काबू करने के लिए खाएं ये दवा
नई गाइडलाइन के मुताबिक मरीज को अगर बुखार आना बंद नहीं हो रहा है तो पैरासीटामोल 650mg दिन में 4 बार ले सकते हैं। अगर इसके बाद भी बुखार नियंत्रित नहीं होता हो तो डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं, जो नोप्रोक्सेन 250mg जैसी नॉन-स्टेयरॉयडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग दवाइयां दिन में दो बार दे सकते हैं। लेकिन ध्यान रहें ये दवाएं खुद से नहीं लेना है। एक बार डॉक्टर से सलाह जरूर करना चाहिए। साथ ही यह भी ध्यान रखें कि रेमडेसिविर इंजेक्शन सिर्फ हॉस्पिटल में दिया जा सकेगा और इसे घर पर रखने की कोशिश न करें।
जरूर लेते रहें आइवरमेक्टिन टैबलेट
गाइडलाइन में यह भी कहा गया है कि मरीज यदि होम आइसोलेशन में है तो तीन से पांच दिनों के लिए आइवरमेक्टिन (200 एमसीजी/किग्रा) टैबलेट दिन में एक बार ले सकते हैं। 5 दिन से अधिक बुखार/खांसी रहने पर इंहेलर के जरिए इन्हेलेशनल बूडेसोनाइड दिन में दो बार 800 एमसीजी की डोज दे सकते हैं।
हर वक्त देखरेख के लिए एक सदस्य आसपास रहें
मरीज की देखभाल के लिए परिवार का एक सदस्य आसपास उपस्थित रहें। होम आइसोलेशन के दौरान केयरटेकर व अस्पताल के बीच बातचीत जारी रहना चाहिए। 60 साल से अधिक की उम्र के लोगों और तनाव, डायबिटीज, हार्ट डिजीज, क्रोनिक लंग/लीवर/किडनी रोग इत्यादि केसेज में कोरोना संक्रमण होने की स्थिति में चिकित्साधिकारी उचित तरीके से मरीज के स्वास्थ्य की जांच करने के बाद ही होम आइसोलेशन की मंजूरी देंगे।