छत्तीसगढ़

लोक निर्माण विभाग के प्रांगण में श्री गणेश एवं विश्वकर्मा जी का विधि विधान से पुजा अर्चना कर किया गया विसर्जन..

कोण्डागांव। पत्रिका लुक
लोक निर्माण विभाग कोंडागांव संभाग कोंडागांव में प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष भी अधिकारी/कर्मचारी व ठेकेदार के सहयोग से गणेश एवं विश्वकर्मा भगवान का मूर्ति स्थापित किया जाता है और पूरे लोक निर्माण विभाग के कर्मचारी परिवार की ओर से इस पूजा में निरंतर 11 दिन तक लगे रहते हैं। इस गणेश पंडाल में भंडारा आयोजित किया जाता है जिसमें खिचड़ी एवं दाल चावल भरोसा जाता है और यह सभी लोक निर्माण विभाग के कर्मचारियों के द्वारा ही किया जाता है क्योंकि लोक निर्माण विभाग के कर्मचारी एक परिवार के जैसे विभाग में कार्य करते हैं और निरंतर इसी प्रकार से कार्य करते आ रहे हैं इस विभाग में यदि किसी कर्मचारी को दुख सुख हो तो उसमें तुरंत ही उपस्थित होकर कर्मचारियों के द्वारा साथ दिया जाता है और यह वर्षों से आपस में भाईचारा कर्मचारियों द्वारा अपनाया जाता है । ग्यारह दिन के पश्चात गणेश विसर्जन हेतु समस्त कर्मचारी गण उपस्थित होकर विसर्जन करते हैं और इस वर्ष गणेश विसर्जन एवं विश्वकर्मा भगवान का विसर्जन एक साथ होने के कारण बहुत ही भीड़ दिखी । जब भंडारा लगता है उस समय आसपास के समस्त विभाग से खिचड़ी और प्रसाद खाने के लिए भगवान के भक्तगण उपस्थित होते हैं। आपको बता दे श्री विश्वकर्मा पूजा हिंदू पञ्चाङ्ग की ‘कन्या संक्रांति पर पड़ता है। भारत के अलावा नेपाल में भी एक बड़े उत्सव के रूप में मनाया जाता है। भारत के कर्नाटक, असम, पश्चिमी बंगाल, बिहार, झारखण्ड, ओडिशा, त्रिपुरा ओर उतर प्रदेश, आदि प्रदेशों में यह आम तौर पर हर साल 17 सितंबर को ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार मनायी जाती है। यह उत्सव प्रायः मुख्य तौर पर विश्वकर्मा के पांच पुत्रों मनु, मय, त्वष्टा, शिल्पी और देवज्ञ की संतानों द्वारा मनाई जाती है। यह कारखानों एवं औद्योगिक क्षेत्रों में (प्रायः शॉप फ्लोर पर) पर विशेष रूप से मनाया जाता है। विश्वकर्मा को विश्व का निर्माता तथा देवताओं का वास्तुकार माना गया है।। साथ में ही यह त्योहार मुख्य रूप से कारखानों और औद्योगिक क्षेत्रों में मनाया जाता है, अक्सर दुकान के फर्श पर। न केवल अभियन्ता और वास्तु समुदाय द्वारा बल्कि कारीगरों, शिल्पकारों, यांत्रिकी, स्मिथ, वेल्डर, द्वारा पूजा के दिन को श्रद्धापूर्वक चिह्नित किया जाता है। औद्योगिक श्रमिकों, कारखाने के श्रमिकों और अन्य। वे बेहतर भविष्य, सुरक्षित कामकाजी परिस्थितियों और सबसे बढ़कर, अपने-अपने क्षेत्र में सफलता के लिए प्रार्थना करते हैं। श्रमिक विभिन्न मशीनों के सुचारू संचालन के लिए भी प्रार्थना करते हैं। श्री विश्वकर्मा पूजा दिवस, दिव्य वास्तुकार के लिए उत्सव का दिन है। उन्हें विश्व का निर्माता माना जाता है। इसे यांत्रिकी और वास्तुकला के विज्ञान, स्टैप्टा वेद के साथ श्रेय दिया जाता है। विश्वकर्मा की विशेष प्रतिमाएँ और चित्र सामान्यतः प्रत्येक कार्यस्थल और कारखाने में स्थापित किए जाते हैं।सभी कार्यकर्ता एक आम जगह पर इकट्ठा होते हैं और पूजा (श्रद्धा) करते हैं। इस अवसर पर कार्यपालन अभियंता, अनुविभागीय अधिकारी (भ/स), अनुविभागीय अधिकारी (वि/यां), समस्त उप अभियंता, समस्त बाबू, समस्त मानचित्रकार, समस्त ठेकेदार, समस्त वाहन चालक, समस्त चपरासी, समस्त स्थाई गैंगमैन श्रमिक एवं अन्य समस्त लोक निर्माण विभाग के कर्मचारी गण उपस्थित रहे ।

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