देश विदेशमनोरंजन

के खिलाफ चल रहे मामलों पर राजस्थान हाईकोर्ट में अहम सुनवाई

जोधपुर। फिल्म अभिनेता सलमान खान (Salman Khan) के काला हिरण शिकार तथा आर्म्स एक्ट मामले में जोधपुर की जिला एवं सत्र अदालत में चल रही सुनवाई को सीधे उच्च न्यायालय में स्थानांतरित करवाने को लेकर लगाई गई याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई होगी। हाईकोर्ट ने इस मामले को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर लिया है। इससे पूर्व हाईकोर्ट के जस्टिस विजय विश्नोई की बेंच ने इसे सुनने से इन्कार कर दिया था। अब जस्टिस संदीप मेहता की अदालत में Salman Khan के वकील हस्तीमल सारस्वत अभिनेता से जुड़े सभी मामलों की सुनवाई हाईकोर्ट में करने के लिए अपना पक्ष रखेंगे।

वर्ष 1998 में फिल्म ‘हम साथ साथ हैं’ की शूटिंग के दौरान हिरण शिकार का मामला सामने आया था, इसके साथ ही अवधि पार हथियार रखने का मामला भी उठा था, जिसके बाद हिरण शिकार प्रकरण और आर्म्स एक्ट की धाराओं में यह मामला जोधपुर के जिला व सत्र न्यायालय में चला था। इन मामलों में आए फैसले के विरोध में राज्य सरकार और Salman Khan ने भी हुई सजा के खिलाफ याचिका लगाई है। कांकाणी हिरण शिकार मामले में ग्रामीण सीजेएम कोर्ट ने Salman Khan को 5 साल की सजा दी थी। कोर्ट ने इस मामले में सह आरोपी फिल्म अभिनेता सैफ अली खान, अभिनेत्री नीलम, तब्बू, सोनाली बेंद्रे और दुष्यंत सिंह को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया था। राज्य सरकार की ओर से सीजेएम कोर्ट के इस फैसले को राजस्थान उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी ।

Salman Khan के वकील हस्तीमल सारस्वत ने कोर्ट में याचिका पेश कर यह मांग की है कि सभी मामले एक ही प्रवृत्ति के हैं, इसलिए इन सबकी सुनवाई एक साथ की जाए। इस मामले पर शुक्रवार को सुनवाई होगी। जहां सारस्वत ट्रांसफर याचिका मामले में उनका पक्ष रखेंगे ।

इन दो मामलों के संदर्भ में है याचिका

सलमान खान को सीजेएम ( ग्रामीण ) कोर्ट की ओर से सुनाई गई 5 साल की सजा के खिलाफ जिला एवं सत्र अदालत में अपील की हुई है । वहीं , सीजेएम की कोर्ट ने आर्स एक्ट मामले में सलमान खान को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया था । इस फैसले को भी राज्य सरकार की ओर से सत्र अदालत में ही चुनौती दी गई है । दोनों मामले इसी कोर्ट में लंबित हैं । यदि उच्च न्यायालय सलमान के अधिवक्ताओं के तरफ से सहमत होते हैं तो सलमान से जुड़े मामलों की सुनवाई हाईकोर्ट में हो सकेगी और यदि तर्कों को खारिज कर दिया जाता है तो सुनवाई निचली अदालत में ही यथावत रहेगी।

Patrika Look

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *