इटावा। इटावा लायन सफारी में शेरनी जेनिफर में कोरोना संक्रमित होने के बाद से सफारी प्रशासन की नींद उड़ी हुई है। आशंका है संक्रमित कर्मचारी के संपर्क में आने से जेनिफर चपेट में आई। सफारी के पांच कर्मचारी कोरोना संक्रमित बताए जा रहे हैं। सफारी में इस समय 18 शेर हैं इनमें से दो शेरनी जेनिफर तथा गौरी पिछले कई दिनों से बीमार चल रही हैं। जेनिफर की हालत ज्यादा खराब है। हैदराबाद में आठ शेरों के संक्रमित होने के बाद सफारी प्रशासन हरकत में आया और यहां के 14 शेरों के सैंपल जांच के लिए बेली भेजे गए। यूपी में अभी तक शेरों में संक्रमण मिलने का यह पहला मामला बताया जा रहा है।
शेरों की देखभाल में हुई लापरवाही
लायन सफारी में इस समय कोई विशेषज्ञ पशुचिकित्सक नहीं है। इस संबंध में सफारी प्रशासन ने कई बार शासन से गुहार लगाई। फिलहाल जानवरों को कोरोना संक्रमण से बचने के लिए सभी उपाय किए गए हैं। केविड गाइडलाइन का पालन किया जा रहा है। दावा किया गया था कि शेरों के पास किसी को जाने नहीं दिया जा रहा है। संक्रमित कर्मचारियों की जानकारी मिलते ही उन्हें सफारी से दूर कर उन्हें घरों में आइसोलेट कर दिया गया था। सवाल यह है कि फिर सफारी में वायरस कैसे पहुंचा। इसके पीछे बड़ी लापरवाही का अंदेशा है। माना जा रहा है जब तक संक्रमित कर्मियों को ड्यूटी से अलग किया जाता तब तक जेनिफर और गौरी शेरनी संक्रमित हो चुकी थी।
शेरनी जेनिफर ने खाना-पीना छोड़ा
जेनिफर और गौरी की हलत बिगड़ने से हलकान सफारी प्रशासन ने 14 शेरों की जांच के लिए सैंपल भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) भेजे। जांच में जेनिफर में संक्रमण की पुष्टि हुई जबकि गौरी की रिपोर्ट में संदिग्ध कोरोना मिला। इसके अलावा 12 शेरों की रिपोर्ट नेगेटिव आई। शेरनी जेनिफर की हालत ज्यादा खराब है। सफारी अस्पताल में उसका इलाज चल रहा है, लेकिन तीन-चार दिनों से उसने खाना-पीना भी छोड़ दिया है। उसे ड्रिप लगाई गई है।
केनाइन डिस्टेंपर से हुआ था बड़ा नुकसान
इससे पहले सफारी में केनाइन डिस्टेंपर बीमारी ने बड़ा नुकसान किया था। इस बीमारी से आठ शेरों की मौत हुई थी। इसपर काबू पाने के बाद सफारी के डॉक्टरों ने इसकी अचूक वैक्सीन इजात की। इसका परिणाम यह हुआ कि सफारी के पशुचिकित्सकों को बाहर से बुलावा आने लगा। एक वर्ष पहले जब गुजरात के जूनागढ़ में यह बीमारी फैली तो इटावा सफारी के डॉ. गौरव श्रीवास्तव को वहां भेजा गया था।