छत्तीसगढ़राजनीति

कांति ने कहा-भाजपा सरकार ने कोर्ट में “कंवर समिति’ की रिपोर्ट तक नहीं रखी, भाजपाई माफी मांगे प्रदेशवासियों से

रमन सिंह ने अपने दायित्व का ईमानदारी से निर्वहन नहीं किया था – कांति

कोंडागांव/अंतागढ़ पत्रिका लुक।

बिलासपुर हाईकोर्ट के आरक्षण को रिवर्ट कर देने के फैसले से छत्तीसगढ़ में राजनीतिक संग्राम खड़ा हो गया है। राज्य योजना आयोग की सदस्य कांति नाग ने आरक्षण को रिवर्ट करने वाले फैसले के लिए पूर्ववर्ती भाजपा सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। कांग्रेस नेत्री कांति नाग ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा, भाजपा सरकार ने तत्कालीन गृह मंत्री ननकीराम कंवर की अध्यक्षता में बनी मंत्रिमंडलीय उप समिति की रिपोर्ट तक अदालत में नहीं दी।

कांति नाग ने कहा, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़े वर्ग के 58 प्रतिशत आरक्षण को बिलासपुर उच्च न्यायालय ने रद्द करने का फैसला दिया है। यह इस वजह से हुआ क्योंकि तत्कालीन रमन सिंह सरकार ने अपने दायित्व का ईमानदारी से निर्वहन नहीं किया था। रमन सिंह सरकार ने 2011 में आरक्षण को 50% से बढ़ाकर 58 % करने का निर्णय लिया था। 2012 में इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गयी थी। इंदिरा साहनी केस सहित सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न निर्णयों के अनुसार कोई भी राज्य अगर 50% से ज्यादा आरक्षण बढ़ाता है तो उसे उन अत्यंत विशेष परिस्थितियों का उल्लेख करना होगा। तत्कालीन भाजपा ने इसका भी ख्याल नहीं रखा। 2012 में बिलासपुर उच्च न्यायालय में 58% आरक्षण के खिलाफ याचिका दायर हुई। तब भी रमन सिंह सरकार ने सही ढंग से उन विशेष कारणों को प्रस्तुत नहीं किया, जिसके कारण आरक्षण को बढ़ाने की जरूरत पड़ी थी। आरक्षण बढ़ाने से पहले सरकार ने तत्कालीन गृहमंत्री ननकीराम कंवर की अध्यक्षता में एक मंत्रिमंडलीय समिति का गठन किया था। उसकी सिफारिशों को भी अदालत के सामने पेश नहीं किया गया। किसी हलफनामे में इसका उल्लेख तक नहीं किया। परिणाम यह हुआ कि जब कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार ने मंत्रिमंडलीय समिति के बारे में जानकारी दी लेकिन पुराने हलफनामों में इसका कोई उल्लेख नहीं होने के कारण अदालत ने स्वीकार ही नहीं किया। जिसका परिणाम यह फैसला है।

अंतिम बहस में खुद महाधिवक्ता मौजूद थे

कांति नाग ने कहा, कांग्रेस की सरकार इस मामले में बेहद गंभीर थी। इस प्रकरण में जब राज्य सरकार की अंतिम बहस हुई तो खुद महाधिवक्ता मौजूद थे। उन्होंने मंत्रिमंडलीय समिति की हजारों पन्नों की रिपोर्ट को कोर्ट में प्रस्तुत किया था। लेकिन कोर्ट ने ये कहते हुए उसे खारिज कर दिया कि राज्य सरकार ने पहले कभी भी उन दस्तावेजों को शपथ पत्र का हिस्सा नहीं बनाया।

कांति ने कहा – रमन सिंह समेत समस्त भाजपाई प्रदेश से माफी मांगें

राज्य योजना आयोग सदस्य कांति नाग ने कहा, इस मामले में तत्कालीन रमन सिंह सरकार अपने इस दायित्व का सही ढंग से निर्वहन नहीं कर पायी। इसी का परिणाम है कि अदालत ने 58% आरक्षण के फैसले को रद्द कर दिया। इस दुर्भाग्यजनक स्थिति के लिये पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह सहित समस्त भाजपाई नेता प्रदेश की जनता से माफी मांगें।

आरक्षण बढ़ाने की सभी परिस्थितियां मौजूद

कांग्रेस नेत्री कांति ने कहा, यदि किसी वर्ग के आरक्षण में कटौती किये बिना ईमानदारी से दूसरे वर्ग के आरक्षण को बढ़ाया जाता तो यह स्थिति निर्मित ही नहीं होती। सभी संतुष्ट रहते तो कोई कोर्ट भी नहीं जाता। उन्होंने कहा, छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को बढ़ाने के तमाम तर्कसंगत कारण और विशेष परिस्थितियां हैं। भारतीय जनता पार्टी और रमन सिंह सरकार की नीयत में खोट थी। उन्होंने अदालत में राज्य की 95% आबादी के हक में तर्क नहीं दिया और जनता को उसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है ।

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