केंद्र की मुफ्त वैक्सीनेशन का नेता प्रतिपक्ष कौशिक ने किया स्वागत
रायपुर। केंद्र सरकार 21 जून से 18+ लोगों के लिए राज्यों को मुफ्त में कोरोना की वैक्सीन देगी. राज्यों को अब इसके लिए कुछ भी खर्च नहीं करना पड़ेगा. इस पर नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने प्रधानमंत्री मोदी को छत्तीसगढ़वासियों की ओर से बधाई दी है. उन्होंने कहा कि फ्री वैक्सीन लेने का निर्णय बहुत बड़ा है. कई राज्यों में स्थिति को देखते हुए यह निर्णय लिया गया. अब 18 प्लस के लिए वैक्सीन की व्यवस्था केंद्र सरकार करेगी.
नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि 80 करोड़ जनता के लिए खाद्यान्न की व्यवस्था अब नवंबर की गई है. कई राज्यों ने वैक्सीनेशन को लेकर राजनीति की. लाखों युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया. छत्तीसगढ़ में टीका लगाने में राज्य सरकार असफल रही है. प्रदेश में वैक्सीन नहीं है, क्योंकि एडवांस राशि जमा नहीं किया गया. इसमें भी कहीं न कहीं राजनीति घुस गई.
उन्होंने कहा कि एक तरफ 45 प्लस के लिए वैक्सीन दी गई. उसमें भी राज्य सरकार ने राजनीति कर दो महीने तक वैक्सीन नहीं लगने दिया. सरकार ने भ्रम फैलाया. आज लोग वैक्सीन लगवाने के लिए तैयार नहीं है. जबकि वैक्सीन रखा हुआ है. राज्य सरकार की जवाबदारी रही है कि वो 18 प्लस के लिए वैक्सीन की व्यवस्था करे. लेकिन नहीं किया. इसीलिए प्रधानमंत्री ने यह बड़ा निर्णय लिया है. आज देश को किसी पर भरोसा है, तो वो प्रधानमंत्री पर है.
बता दें कि केंद्र सरकार ने देश के सभी नागरिकों को मुफ्त में वैक्सीन लगाने का निर्णय लिया है. इसके लिए राज्यों को दिया गया वैक्सीन का कोटा अपने हाथों में ले लिया है. मुफ्त वैक्सीन की सुविधा आने वाले दो सप्ताहों में लागू की जाएगी. इस बीच केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर नई गाइडलाइंस के अनुसार आवश्यक तैयारी कर लेंगी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को देश को संबोधित करते हुए कहा कि 21 जून से देश के हर राज्य में 18 वर्ष से ऊपर की उम्र के सभी नागरिकों के लिए भारत सरकार राज्यों को मुफ्त वैक्सीन मुहैया कराएगी. वैक्सीन निर्माताओं से कुल वैक्सीन उत्पादन का 75 प्रतिशत हिस्सा भारत सरकार खुद ही खरीदकर राज्य सरकारों को मुफ्त देगी.
उन्होंने कहा कि देश में बन रही वैक्सीन में से 25 प्रतिशत, प्राइवेट सेक्टर के अस्पताल सीधे ले पाएं, ये व्यवस्था जारी रहेगी. प्राइवेट अस्पताल वैक्सीन की निर्धारित कीमत के उपरांत एक डोज पर अधिकतम 150 रुपए ही सर्विस चार्ज ले सकेंगे. इसकी निगरानी करने का काम राज्य सरकारों के ही पास रहेगा.